..तब मोमबत्ती की रोशनी में होता था मरीजों का उपचार
मोमबत्ती की रोशनी में करते थे मरीजों की सेवा फोटो जागरण संवाददाता गोड्डा सदर अस्पताल में मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कर होने पर एएनएम किरण मंडल मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं। इतन ही नही जरूरत होने पर मरीजो को आर्थिक सहयेाग भी करती हैं। वहीं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी सेवाभाव का पाठ पढ़ाते रहती हैं। सरल और हंसमुख स्वाभाव के कारण स्वास्थ कर्मी उन्हे अभिभावक मानते हैं। नर्स दिवस पर जागरण संवादाता के साथ किरण मंडल ने अपनी यादों को साझा किया। बताया कि बीएमसीएच से ए ग्रेड नर्स की ट्रेनिग की। 15 जुलाई 19
गोड्डा : सदर अस्पताल में मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत होने पर एएनएम किरण मंडल मरीजों की सेवा के लिए तत्पर हो उठती हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर मरीजों को आर्थिक सहयोग भी करती हैं। सदर अस्पताल में कार्यरत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी सेवाभाव का पाठ पढ़ाने में किरण मंडल पीछे नहीं रहती हैं। सरल और हंसमुख स्वभाव के कारण स्वास्थ्यकर्मी उन्हें अभिभावक मानते हैं। नर्स दिवस पर जागरण के साथ किरण मंडल ने अपनी यादों को साझा किया। बताया कि बीएमसीएच से ए ग्रेड नर्स की ट्रेनिग की। 15 जुलाई 1989 में पहली बार सदर अस्पताल गोड्डा में ज्वाइनिग हुई। गोड्डा अस्पताल से ड्यूटी शुरू किया। इसके बाद क्रमश: साहिबगंज अस्पताल, महागामा अस्पताल, एसएमओ ऑफिस गोड्डा में भी उन्होंने अपनी सेवा दी। तत्पश्चात पुन: 2015 से लगातार छह साल से सदर अस्पताल गोड्डा में सेवा दे रहीं हैं।
बताया कि उस समय अस्पताल में बारिश के मौसम में छत से कई जगहों से पानी भी रिसने लगता था। मरीजों को भी रहने में काफी परेशानी होती थी। 1990-91 में एक 9 वर्षीय मूक बधिर किशोरी को जख्मी हालत में ललमटिया पुलिस ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद पुलिस ने अपना पल्ला झाड़ लिया। किरण मंडल ने नियमित रूप से किशोरी की सेवा की। परिणामस्वरूप जल्द ही ठीक हो गई। इसके बाद दैनिक जागरण अखबार के सहयोग से ही किशोरी के घर का पता लगाकर परिजनों को सौंपा गया।
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पूरे सेवाभाव के साथ की हैं मरीजों की देखभाल
इस प्रकार किरण मंडल बीते 30 वर्ष में ऐसे 100 से अधिक मरीजों की सेवा पूरे सेवाभाव से की हैं। अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी सेवा के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने बताया कि एक बार एक वृद्ध महिला को डायरिया होने पर उसकी बेटी छोड़कर चली गई थी। उस समय वृद्ध महिला को एक पखवाड़े तक अस्पताल में रखकर उसकी सेवा की। महिला की तबीयत ठीक होने पर उसे घर पहुंचाया गया। पहले गोड्डा अस्पताल छोटी सी जगह में था। कम जगह, न्यूनतम सुविधा, गिने चुने स्टॉफ के बीच लोगों की देखभाल करनी पड़ती थी। बावजूद इसके स्वास्थ्य कर्मी मरीजों की सेवा करते थे। उस समय बिजली की व्यवस्था भी नहीं थी। मोमबत्ती की रोशनी में मरीजों का उपचार करना पड़ता था। उस समय गोड्डा में मात्र 40 बेड का अस्पताल था। अब तो लंबा चौड़ा 150 से अधिक बेड क्षमता का अस्पताल बन गया है। आपातकालीन स्थिति में मरीजों के लिए व्यवस्था है।
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मरीजों की जांच के लिए लगाई जा रही आधुनिक मशीन :
अस्पताल की बेड क्षमता बढ़ाकर 300 बेड का बनाया जा रहा है। रोगियों की जांच के लिए आधुनिक मशीन लगाई जा रही है। ब्लड बैंक खुल गया है। जिससे मरीजों को रक्त की जरूरत होने पर परेशानी नहीं होती है। सदर अस्पताल में हर्बल पार्क की जगह पर सिविल सर्जन कार्यालय हुआ करता था। एएनएम, जीएनएम व स्वास्थ्य कर्मियों के सुझाव पर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान से उक्त जगह पर हर्बल पार्क बनवाने का आग्रह किया। डॉ रामदेव पासवान ने इस बात को गंभीरता से लिया। उनकी पहल पर अडानी कंपनी के सौजन्य से शीघ्र ही हर्बल पार्क का निर्माण कराया गया। बीते वर्ष सांसद मद से ब्लड बैंक भी शुरु हो गया है। कैफैटेरिया भवन बनकर तैयार है। डायलिसिस के लिए स्पेशल वार्ड बन चुका है। सदर अस्पताल गोड्डा कई आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहा है।