सचिव पर कार्रवाई नहीं हुई तो प्रभावित होगी स्वास्थ्य सेवाएं
गोड्डा आइएमए ने कहा है कि यदि राज्य सरकार स्वास्थ्य सचिव पर कार्रवाई नहीं करती है त
गोड्डा : आइएमए ने कहा है कि यदि राज्य सरकार स्वास्थ्य सचिव पर कार्रवाई नहीं करती है तो सूबे की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती है। बीते रविवार को रांची में आइएमए की बैठक में भाग लेकर लौंटी महिला विग की सचिव डॉ. प्रभा रानी प्रसाद ने मंगलवार को यहां बताया कि एक तरफ पूरा देश डॉक्टरों के कार्य को लोहा मान रहा है। वहीं अपने ही राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सबसे उच्च अधिकारी अपने ही चिकित्सकों पर अमर्यादित टिप्पणी कर उन्हें बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी का बयान डॉक्टरों के सम्मान को कम करता है। इसीलिए सरकार से मांग है कि स्वास्थ्य सचिव पर कार्रवाई की जाए। ऐसा ना होने पर राज्यभर के डॉक्टर और चिकित्सक संगठन किसी भी हद तक जाने को बाध्य होंगे।
डॉ. प्रभा रानी ने बताया कि अगले एक सप्ताह का समय राज्यभर के चिकित्सकों ने सरकार को देने का काम किया है, अगर एक सप्ताह में सरकार स्वास्थ्य सचिव पर उचित कार्रवाई नहीं करती है तो चिकित्सकों को अपना सम्मान बचाने के लिए खुद आगे आना पड़ेगा। बता दें कि बीते 30 दिसंबर को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने बयान दिया था कि डॉक्टर अधिक दहेज लेने के लिए पढ़ाई करते हैं या फिर उन्हें काम नहीं करना पड़े, इसलिए वे इस पेशे में आते हैं। इसके बाद राज्य भर के डॉक्टरों ने विरोध जताना शुरू कर दिया था। डॉ प्रभा रानी प्रसाद ने कहा कि राज्य के सभी जिलों से आए डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सचिव के बयान पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अगर 7 दिनों के अंदर उन पर कार्रवाई नहीं हुई तो डॉक्टर्स कठोर कदम उठाने को बाध्य होंगे और इसकी जिम्मेदारी पूर्णत: सरकार पर होगी। रांची की बैठक में आइएमए अध्यक्ष डॉ एके सिंह और सचिव डॉ प्रदीप सिंह, डॉ अजय सिंह तथा तमाम दिग्गजों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था। इससे पहले गोड्डा में भी आइएमए की आपात बैठक में स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी के बयान की निदा की गई थी। साथ ही विरोध स्वरूप डॉक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर सांकेतिक विरोध शुरू किया था। गोड्डा आइएमए के अध्यक्ष डॉ श्यामजी भगत, डॉ अशोक कुमार, डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ बनदेवी झा, डॉ एसके चौधरी, डॉ गौतम, डॉ रामजी भगत, डॉ पूनम रानी, डॉ धर्मेंद्र आदि ने भी संयुक्त बयान में कहा है कि कोरोना काल में डॉक्टरों ने जान हथेली पर रखकर कार्य किया है और प्रदेश के 18 डॉक्टर शहीद हुए है।