Move to Jagran APP

ग्रेनाइट पत्थर की तस्करी में तीन को जेल

पोड़ैयाहाट : पोड़ैयाहाट पुलिस ने अंचल क्षेत्र के कठौन गांव के समीप दो ट्रक में ग्रेनाइट पत्थर की तस्कर

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 05:58 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 06:47 AM (IST)
ग्रेनाइट पत्थर की तस्करी में तीन को जेल
ग्रेनाइट पत्थर की तस्करी में तीन को जेल

पोड़ैयाहाट : पोड़ैयाहाट पुलिस ने अंचल क्षेत्र के कठौन गांव के समीप दो ट्रक में ग्रेनाइट पत्थर की तस्करी करते हुए दो चालक सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी करते हुए तीनों को जेल भेज दिया है। तीनों पत्थर तस्करों से पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। ग्रेनाइट पत्थरों की खुदाई को लेकर अब खनन विभाग पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

loksabha election banner

जानकारी के अनुसार दिल्ली निवासी रमेश सिंह करीब 20-25 सालों से पट्टा लेकर यहां ग्रेनाइट पत्थर का खनन कर रहा था। जानकारी के अनुसार प्रति वर्ष उसके पट्टे का नवीनीकरण भी किया जाता था। इस बार भी नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। खनन विभाग के पदाधिकारी इस पूरे घटनाक्रम में संदेह के घेरे में है। पर्यावरणीय स्वीकृति पर सवाल : कठौन गांव की ग्रेनाइट खदान के समीप स्वास्थ्य उपकेन्द्र और आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। यहां प्रतिदिन छोटे छोटे बच्चे पांच घंटे तक पढ़ते व खेलते हैं। मात्र 500 मीटर की दूरी पर ग्रेनाइट का खनन होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। खनन क्षेत्र में ग्रेनाइट की कटिग के कारण धूल और प्रदूषण के खतरे से विभाग किस तरह अनभिज्ञ रह सकता है। ग्रामीणों ने खनन विभाग से इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन खनन माफियाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वहीं स्वास्थ्य उपकेन्द्र में स्वास्थ्य की देखभाल के साथ साथ महिलाओं का प्रसव भी कराया जाता है। प्रदूषित वातावरण और डायनामाइट की ब्लास्टिग होने से जच्चा और बच्चा पर खतरा बना रहता है। स्वास्थ्य कर्मियों ने भी कई बार मौखिक रूप से स्वास्थ्य विभाग से इसकी शिकायत की थी। लेकिन आजतक न तो ब्लास्टिग बंद हुई और न ही ग्रेनाइट की कटिग बंद हुई। ग्रेनाइट खदान के बाहर जो बेकार कच्चा माल व ओबी रहता है उसे डायनामाइट लगाकर उड़ाया जाता है। जिससे काफी ऊंची और तेज आवाज होती है। यहां प्रतिदिन औसतन आठ बार विस्फोट कराया जाता है। विस्फोट होने से अस्पताल की छत में दरार पड़ने लगी है। यही नहीं कुछ दूरी पर होमगार्ड का जिला कार्यालय भी है। गार्ड के जवानों ने भी कई बार विस्फोट करने से मना किया लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि खनन विभाग यहां लीजधारी को पर्यावरणीय स्वीकृति और अनापत्ति प्रमाण पत्र किस तरह दिया, यह जांच का विषय है। ग्रामीणों का कहना है कि आज तक कभी भी किसी खनन पदाधिकारी ,अंचलाधिकारी आदि ने खनन क्षेत्र का जायजा लेना भी जरूरी नहीं समझा। सबकुछ टेबल पर बैठकर ही कर लिया जाता है। इधर डीएमओ मेघनाथ टुडू का कहना है कि पत्थर खनन के लिए पट्टा आवंटित करने के लिए मानकों की गहराई से जांच की जाती है। सब कुछ दुरुस्त रहने के बाद ही लीज दिया जाता है। यह सरकार के लिए राजस्व संग्रह का जरिया है लिहाजा इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। जहां तक ग्रामीणों का सवाल है तो विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि लीजधारी अपने आवंटित क्षेत्र में ही खनन कार्य करे। ऐसा नहीं होने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.