स्कूली बच्चों को झाडू लगाते देख भड़की मेहरमा विधायक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय डोय में बरती जा रही अनियमितता की शिकायत के बाद स्थानीय विधायक दीपिका पांडेय स्कूल की जांच करने पहुंच गई। स्कूल में झाडू लगा रही बच्ची को देख बिफर पड़ी। उन्होंने स्कूल में उपस्थिति पंजी मंगाई बच्चों को की कमी देख स्थित में सुधार की बात कही।
संवाद सहयोगी, मेहरमा(गोड्डा) : मेहरमा के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डोय में अनियमितता बरते जाने की शिकायत के बाद शुक्रवार को महागामा विधानसभा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह खुद जांच को स्कूल पहुंच गई। वहां व्याप्त अनियमितता को देख उन्होंने नाराजगी जताई। इस दौरान उन्होंने मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवकीनंदन पोद्दार को शिक्षा व्यवस्था में सुधार का निर्देश दिया। विधायक ने स्कूल के शिक्षकों से उपस्थिति पंजी मांगी तो नामांकन के मुताबिक बच्चों की उपस्थिति काफी कम मिला।
उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर में साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्कूली बच्चों को झाड़ू लगाते देख विधायक बिफर पड़ी। उन्होंने बताया कि स्कूल उपस्थित अधिकतर बच्चे ड्रेस में नहीं थे। बच्चों से बातचीत करने पर बताया गया कि प्रत्येक दिन मात्र दो घंटी ही पढ़ाई होती है। शेष समय वे लोग खेलकूद कर वापस घर लौट जाते हैं। ऐसा हाल तब है, जब यहां पर्याप्त शिक्षक हैं। विधायक ने बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और उनके ठहराव का निर्देश दिया। बच्चों को भी नियमित स्कूल आने तथा खूब मन लगाकर पढने की सलाह दी। अभिभावकों ने कहा कि इसके पूर्व विद्यालय में अनियमितता की शिकायत बीडीओ कुमार अभिषेक सिंह से भी की गई थी लेकिन उनकी ओर से सुधार की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। इस पर विधायक ने बीडीओ को फोन कर कार्यवाही का निर्देश दिया।
विधायक ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था चौपट है। इस व्यवस्था से कोई संतुष्ट नहीं है। सरकारी स्कूल में जिस तरह पठन - पाठन होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा है। उन्होंने शिक्षकों से ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन का निर्देश दिया। लापरवाह शिक्षकों को सचेत रहने की नसीहत दी। कहा कि सरकार की ओर से सभी सरकारी स्कूल का सर्वे कराया जाएगा। कमी को पूरा करने की दिशा में प्रयास किया जाएगा। विधायक जब स्कूल पहुंची थी, वहां प्रार्थना हो रहा था। विधायक ने भी इसका पालन करते हुए प्रार्थना में शामिल हुई।
बच्चों के साथ हाथ जोड़कर प्रार्थना किया। एक शिक्षक हाथ जोड़ने की बजाय अपने पेट पर हाथ रखकर प्रार्थना कर रहे थे। इसे लेकर लोगों ने नाराजगी व्यक्त की। लोगों ने कहा कि जिनके ऊपर बच्चों को सिखाने की जिम्मेवारी है, उन्हें कौन सिखाए। लोगों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।