यहां आजादी के पूर्व से ही स्थापित होती मां की प्रतिमा
पोडै़याहाट पुराना बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में आजादी के पूर्व से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित हो रही है। इस मंदिर मैं बाहरी दिखावा कम लेकिन भक्ति आस्था एवं श्रद्धा का अछ्वुत समागम होता है। पुराना बाजार स्थित दुर्गा की प्रतिमा की पूजन परंपरा युवाओं में काफी प्रसिद्धि प्राप्त है।
पोडै़याहाट : पोडै़याहाट पुराना बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में आजादी के पूर्व से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित हो रही है। इस मंदिर में बाहरी दिखावा कम है और भक्ति, आस्था एवं श्रद्धा का अछ्वुत समागम होता है। पुराना बाजार स्थित दुर्गा की प्रतिमा की पूजन परंपरा काफी प्रसिद्ध रही है। दिवाकर भगत की मानें तो मां की कृपा यहां के बच्चों पर खूब बरसती है। आज के समय में प्रत्येक घर से एक सरकारी जॉब जरूर है और उनमें इतनी श्रद्धा है कि बाहर नौकरी में होने के बाद समिति के खाता में सहयोग राशि डालना नहीं भूलते। इससे पूजा बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है।
पोडै़याहाट के पुराना बाजार दुर्गा मंदिर की स्थापना आजादी के पूर्व में की गई थी। समाजसेवी व साहित्यकार श्यामानंद वत्स की माने तो पहले पूरे पोडै़याहाट में एकमात्र पुराना बाजार में ही दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती थी । बाद में 70 के दशक में बंगाली टोला में अलग से प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा की पूजा की जाने लगी। वहीं करीब 20 साल से बांझी रोड में भी दुर्गा पूजा हो रही है। आज भी पुराना बाजार में लोगों की आस्था अटूट है। यहां स्थानीय मुखिया, प्रमुख, प्रधान आदि की सहायता से अनुष्ठान होता है। जगन्नाथ साह एवं दो चार सहयोगियों की सहायता से ही दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती थी। बाद में सभी लोगों की इच्छा हुई तो इसे सार्वजनिक पुस्तकालय में ले जाया गया और वहीं से पूजा-अर्चना शुरू की गई।