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खटनई गांव में बुनियादी सुविधाओं का टोटा

जासं गोड्डा झारखंड और बिहार की सीमा पर बसा गांव खटनई व शांतिनगर जिला मुख्यालय से मुश्किल से 13 किमी की दूरी पर अवस्थित है। आसन्न चुनाव को लेकर गांव में कोई चहल पहल नहीं है। झंडा बैनर और प्रचार का माहौल भी नहीं दिखता है। हां गांव वाले अगर चौक चौराहे पर जुटते हैं तो चुनाव की चर्चा जरूर होती है। शनिवार को भी यह देखने को मिली। खटनई पंचायत में दर्जनों गांव हैं। मुखिया घनश्याम महतो बताते हैं कि सामाजिक आर्थिक गणना में यहां 1700 परिवारों का सर्वे हुआ है। यहां पिछड़ी जाति अनुसूचित जाति और अल्यसंख्यक समुदाय की बहुलता है। इमें सूड़ी तेली बनिया मंडल पासवान और मुस्लिम परिवार निवास करते हैं। खटनई पंचायत के शांतिनगर गांव तो अमूमन भूमिहीनों के हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 06:38 PM (IST)
खटनई गांव में बुनियादी सुविधाओं का टोटा
खटनई गांव में बुनियादी सुविधाओं का टोटा

गोड्डा : झारखंड और बिहार की सीमा पर बसा गांव खटनई व शांतिनगर जिला मुख्यालय से मुश्किल से 13 किमी की दूरी पर अवस्थित है। लोकसभा चुनाव को लेकर गांव में कोई चहल पहल नहीं है। झंडा, बैनर और प्रचार का माहौल भी नहीं दिखता है। हां, गांव वाले अगर चौक चौराहे पर जुटते हैं तो चुनाव की चर्चा जरूर होती है। शनिवार को भी यह देखने को मिली। खटनई पंचायत में दर्जनों गांव हैं। मुखिया घनश्याम महतो बताते हैं कि सामाजिक आर्थिक गणना में यहां 1700 परिवारों का सर्वे हुआ है। यहां पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय की बहुलता है। इसमें सूड़ी, तेली, बनिया, मंडल, पासवान और मुस्लिम परिवार निवास करते हैं। खटनई पंचायत के शांतिनगर गांव तो अमूमन भूमिहीनों के हैं। यहां अधिकांश परिवारों को एसपीटी एक्ट के तहत बंदोबस्ती में जमीन मुहैया कर बसाया गया है। यहां अधिकांश यादव परिवार हैं। चुनाव को लेकर लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है। गांव की समस्या को लेकर सभी मुखर हैं। क्षेत्र के विकास के लिए जो दावे किए जाते हैं, कम से कम खटनई और शांतिनगर में देखने को तो नहीं मिला है। सदर प्रखंड की उक्त पंचायत में सर्वाधिक समस्या पानी की है। इक्के-दुक्के चापाकल से लोगों से प्यास बुझ रही है। जलमीनार से यहां जलापूर्ति की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। गांव के जागरूक वोटरों से उनकी राय लेने की कोशिश की गई तो लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी। - मैं उसी प्रत्याशी को वोट दूंगा जो ग्रामीणों दुख-दर्द में भागीदार होंगे। खेल और शिक्षा को लेकर ग्रामीण स्तर पर काफी कुछ करने की जरूरत है। विकास का मतलब लोगों को आसानी से बुनियादी जरूरतों की उपलब्धता है। ऐसा इस गांव में नहीं है।

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- मो मोजहीदुल इस्लाम फोटो : 16 - वर्षों से साइकिल मरम्मत की दुकान चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा हूं। चुनाव में जो प्रत्याशी गांव के बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराएगा और क्षेत्र का विकास करेगा, उसे ग्रामीणों का समर्थन मिलेगा।

- श्याम दास, खटनई, फोटो : 17 - देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विकास करने का विजन है। मोदी ने भारत के मान सम्मान को पूरी दुनिया में मुकाम दिलाया है। मोदी जनता की आवाज सुनते हैं।

- घनश्याम महतो, मुखिया खटनई,

फोटो 18 - गांव में पेयजल की घोर किल्लत है। नेता गांव आते हैं लेकिन लोगों की समस्या का समाधान नहीं करते। दस साल से भाजपा यहां शासन कर रही है लेकिन बुनियादी चीजें अब भी बदतर स्थिति में है। बिजली पानी की समस्या किसी से छिपी हुई नहीं है।

- छक्को पूर्वे, भरतीकित्ता

फोटो : 19 - वोट लेने के बाद सभी नेता बदल जाते हैं। जीतने के बाद कभी गांव का हाल देखने नहीं आते। उस प्रत्याशी की तलाश है जो जीतने के बाद भी जनता के साथ रहे और लोगों के लिए सुलह उपलब्ध हो।

- विनय यादव, शांतिनगर, फोटो : 20 - उसी प्रत्याशी को वोट देंगे समाज में भेदभाव नहीं फैलाए और सबों को समान नजर से देखे। जनता के सुख-दु:ख में भागीदार बनने पर ही जनता का समर्थन लिया जा सकता है। अब हवाई नेताओं का जमाना नहीं रहा।

- मंटू यादव, शांतिनगर, फोटो :21 - गांव में किसी को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। भाजपा और जेवीएम के लोगों को गांवों में आकर लोगों से संवाद करना चाहिए। जो प्रत्याशी गरीबों को छत मुहैया कराएगा, उसे ही यहां की जनता अपना समर्थन देगी।

- नीरज यादव, शांतिनगर, फोटो : 22 - मवेशियों को पानी पिलाने में काफी दिक्कत होती है। एक चापाकल के सहारे करीब 200 लोगों की प्यास बुझती है। इसमें सैकड़ों मवेशी भी पानी पीते हैं। तालाब नहीं रहने से शांतिनगर में पशुपालन करने वालों की काफी परेशानी होती है। सियासत के लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती है।

- कैलाश यादव, शांतिनगर, : फोटो : 23 - गांव को वृद्ध और असहाय जनों को सामाजिक सुरक्षा और वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां के सभी बुजुर्ग पेंशन से वंचित हैं। बीडीओ और पंचायत सेवक कभी गांव आकर लोगों की सुध भी नहीं लेते।

- मंदो यादव, भरतीकित्ता, फोटो : 24 - स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में शौचालय निर्माण हुआ लेकिन शांतिनगर गांव के लिए शौचालय योजना जमीन पर नहीं उतरी। शौचालय, सड़क, आवास योजना आदि को लेकर प्रशासनिक उदासीनता से लोगों में मायूसी है।

- सरायन यादव, शांतिनगर, फोटो : 25


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