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शहीद की याद में आज तक नहीं बन सकी प्रतिमा व तोरणद्वार

संवाद सहयोगी पथरगामा प्रखंड के लखनपहाड़ी ग्राम निवासी रघुनंदन झा दुमका जिला पुलिस बल में वर्ष 2009 में बहाल हुए थे। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान 24 अप्रैल 2014 को चुनाव में उनकी ड्यूटी दुमका जिला के शिकारीपाड़ा के जंगली क्षेत्र के एक बूथ पर मिली थी। चुनाव सम्पन्न करा कर वे मतपेटी लेकर वापस लौट रहे थे इसी क्रम में पुलिस वाहन पर नक्सलियों ने हमला कर दिया। नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में लगभग 40 मिनट तक डटकर सामना करने के बाद रघुनंदन झा शहीद हो गए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 08:21 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 08:21 PM (IST)
शहीद की याद में आज तक नहीं बन सकी प्रतिमा व तोरणद्वार
शहीद की याद में आज तक नहीं बन सकी प्रतिमा व तोरणद्वार

पथरगामा : प्रखंड के लखनपहाड़ी ग्राम निवासी रघुनंदन झा दुमका जिला पुलिस बल में वर्ष 2009 में बहाल हुए थे। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान 24 अप्रैल 2014 को चुनाव में उनकी ड्यूटी दुमका जिला के शिकारीपाड़ा के जंगली क्षेत्र के एक बूथ पर लगी थी। चुनाव सम्पन्न करा कर वे मतपेटी लेकर वापस लौट रहे थे इसी क्रम में पुलिस वाहन पर नक्सलियों ने हमला कर दिया। नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में लगभग 40 मिनट तक डटकर सामना करने के बाद रघुनंदन झा शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के दौरान ही वे अपनी पत्नी रानी देवी और भतीजा अनंत झा से टेलीफोन से बात करते हुए कहा कि जबरदस्त मुठभेड़ चल रही है। आगे क्या होगा कहना मुश्किल है। बाएं पैर में गोली लगने के बाद भी डटकर सामना करते रहे। एक पेड़ की ओट लेकर माओवादियों पर गोली चलाते रहे। जब तक गोली उनकी राइफल में थी, तब तक नक्सली उनका बाल बांका नहीं कर सका। गोली समाप्त होने के बाद नक्सलियों ने चारो तरफ से घेरकर उन्हें गोलियों से भून दिया।

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शहीद जवान की पत्नी रानी देवी ने बताया कि जिस जगह नक्सली मुठभेड़ हुई थी। वहां से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर शिकारीपाड़ा ओपी था। वहां से पुलिस बल उनकी सहायता में आ जाती तो वे मौत की नींद नहीं सोए होते। यह बात कहते ही पत्नी के आंखों में आंसू छलक आई। बताया कि शहीद होने के बाद श्राद्ध कर्म में कमिश्नर दुमका, डीसी गोड्डा, एसपी गोड्डा, एसडीपीओ गोड्डा, अनुमंडल पदाधिकारी गोड्डा सभी लोगों के सामने कमिश्नर से मेरे पुत्र और मैं खुद अपने शहीद पति रघुनंदन झा की याद में गांव में प्रतिमा लगवाने की मांग की। साथ ही गांव में उनके नाम से तोरणद्वार की भी मांग की गई थी। उस पर कमिश्नर दुमका ने कहा कि एक महीने के अंदर शहीद के परिजनों की इच्छा पूरी कर दी जाएगी। वर्ष 2014 से अब तक उक्त वायदा पूरा नहीं किया गया है। पति के शहीद होने के छह महीने बाद पुत्र को अनुकंपा के आधार पर आठ अक्टूबर 2014 को दुमका पुलिस केंद्र में नौकरी मिली।

शहीद की पत्नी रानी देवी ने यह भी बताया कि वर्ष 2017-18 में भी तोरणद्वार एवं शहीद पति अभिनंदन झा की प्रतिमा लगाने के लिए जिला पदाधिकारियों को कई बार कहा गया। लेकिन इस पर भी कोई पहल नहीं की गई है।

मालूम हो कि शहीद रघुनंदन झा तीन भाई थे। सबसे बड़े भाई का नाम राम नंदन झा जो पंचायत सेवक पोड़ैयाहाट से सेवानिवृत्त हुए दूसरे भाई का नाम जानकी नंदन झा जो शिक्षक रहते हुए मध्य विद्यालय ककना में सेवाकाल ही चल बसे। जैसे ही छोटे भाई की मौत की खबर , वे सदमें में मौत को गले लगाया। शहीद के भतीजा अनंत झा ने बताया कि लोकसभा चुनाव की घोषणा जैसे ही हुई उस दिन उनकी चाची की आंखों में आंसू भर आए। कहा कि लोकसभा चुनाव अप्रैल 2014 में हुई थी। उसी में नक्सली मुठभेड़ में चाचा जी शहीद हो गए थे। कहा कि प्रतिमा की मांग पर जिला प्रशासन मौन है। बताया कि बारकोप मोड़ के पास जब शहीद अभिनंदन झा की प्रतिमा लगाने की बात कही गई, तो वहां पर कुछ लोगों ने विरोध किया। उसके बाद शहीद के गांव लखनपहाडी के राज कचहरी के पास शहीद रघुनंदन की प्रतिमा लगाने की बात हुई। आज तक इस दिशा में किसी प्रकार की पहल नहीं की गई। आज भी शहीद की पत्नी अपने पति की प्रतिमा और तोरणद्वार की आस देख रही है।


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