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खेतीबाड़ी से लौटी आंगन में खुशियां

गांव की गाथा फोटो 3 - मेहरमा के तुलाराम भुस्का में अप्रैल माह में उप्र से लौटे 60 मजदूरों ने शुरू की खेती बाड़ी संस मेहरमा कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी लॉकडाउन के करीब डेढ़ माह पूरा होने तथा प्रवासी मजदूरों के वापस गांव आने के बाद गांव की हालात बदलने लगे हैं। अधिकांश प्रवासी मजदूर वापस गांव आकर अपना पूरा समय खेती-बाड़ी में देने लगे हैं। इससे गांव की दिशा व दशा बदलने लगी है। साथ

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 04:32 PM (IST)
खेतीबाड़ी से लौटी आंगन में खुशियां
खेतीबाड़ी से लौटी आंगन में खुशियां

मेहरमा: कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी लॉकडाउन के करीब डेढ़ माह पूरा होने तथा प्रवासी मजदूरों के वापस गांव आने के बाद गांव के हालात बदलने लगे हैं। अधिकतर प्रवासी मजदूर वापस गांव आकर अपना पूरा समय खेती-बाड़ी में लगे हैं। इससे गांव की दिशा व दशा बदलने लगी है। साथ ही पूरे परिवार के साथ रहने के कारण घर का माहौल भी बदल गया है। सभी के आंगन में खुशियां गूंजने लगी है। लोगों का कहना है कि नून रोटी खाएंगे लेकिन परिवार के सभी सदस्य के साथ गांव में ही रहेंगे। प्रखंड अंतर्गत तुलाराम भुस्का गांव के जयप्रकाश मंडल, पप्पू मंडल व विनोद मंडल ने बताया कि बीते माह जनवरी में वे लोग रोजगार की तलाश में उत्तर प्रदेश के कानपुर गए थे। वे सभी लोग राजमिस्त्री का काम करते हैं। जाने के साथ ही उन्हें वहां काम मिल गया। बताया कि वहां लगातार काम मिल रहा था। इसी क्रम में कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन लग गया। इसके बाद सभी कंपनी का काम बंद हो गया। खाने-पीने के लाले पड़ने लगे। लोगों को घर की याद सताने लगी। किसी भी तरह वे लोग वापस गांव आना चाहते थे। परंतु कहीं कोई साधन नजर नहीं आ रहा था। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा माह अप्रैल के प्रथम सप्ताह में उन लोगों को ट्रक पर सवार कर विहार राज्य सीमा के मुगलसराय के पास पहुंचाया गया। वहां से बिहार सरकार की बस पर सवार होकर वे लोग दानापुर पहुंचे। पुन: वहां से भागलपुर और भागलपुर से उन लोगों को करीब 4 बजे भोर में मेहरमा बायपास मार्ग के समीप लाकर छोड़ दिया गया। यहां से पैदल वे लोग अपने अपने गांव पहुंचे बताया कि वे लोग 60 की संख्या में मजदूर थे। बताया कि जगह-जगह उन लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई। गांव आने के बाद उन्हें होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गई थी। बताया कि उन लोगों ने आदेश का पालन करते हुए करीब 20 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहा। इसके बाद परिवार के भरण-पोषण की चिता उन्हें सताने लगी। जयप्रकाश मंडल ने बताया कि वे भूमिहीन हैं। वे अब गांव में ही कोई रोजगार धंधा करेंगे। अभी बंटाई में मकई और सब्जी की खेती शुरू कर रहे हैं। इसी प्रकार पप्पू मंडल व विनोद मंडल ने भी अपने खेतों में मकई व सब्जी की खेती शुरू कर दी है।

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