विपरित परिस्थितियों में भी निखर रहीं गोड्डा की खेल प्रतिभाएं
विपरित परिस्थितियों में भी निखर रहीं गोड्डा की खेल प्रतिभाएं
विधु विनोद, गोड्डा :
खेल मैदानों की जर्जर स्थिति, कमजोर बुनियादी ढांचे व प्रखंड क्षेत्रों में मैदानों की कमी के बावजूद गोड्डा जिले की खेल प्रतिभाएं लगातार निखर रहीं हैं। नेटबॉल, फुटबॉल, कुश्ती, ताइक्वांडो, क्रिकेट और एथलेटिक्स में जिले के कई खिलाड़ियों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अहम उपलब्धियां हासिल की है। कभी घर की दहलीज तक सिमटी गांव की बच्चियां अब पढ़ाई के साथ साथ खेल की दुनिया में नाम रोशन कर रहीं हैं। जिले के पथरगामा कस्तूरबा विद्यालय की दर्जनों छात्राओं ने स्टेट व नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन किया है। सुदूर प्रखंड की बच्चियों ने गोड्डा जिले के शहरी क्षेत्र में रहने वाली बच्चियों को पीछे छोड़ दिया है। छात्रा मनीषा कुमारी ने हाल में ही राज्य स्तरीय कुश्ती में गोल्ड मेडल हासिल किया। वहीं मिनी पावरिया ने कबड्डी और सबनम कुमारी ने नेटबॉल और कुश्ती में अपना लोहा मनवाया। सबिता कुमारी ने नेटबॉल और फुटबॉल, प्रियांसु कुमारी ने कबड्डी, नेटबॉल, पूजा कुमारी ने नेटबॉल व खो- खो, रीमा सोरेन ने फुटबॉल और नेटबॉल, मोनिका कुमारी ने फुटबॉल और कुश्ती, हीना कुमारी ने नेटबॉल, साहिबा खातून ने कुश्ती खेल में अपनी पहचान जिले में बनाई है।
जिले की शारीरिक शिक्षिका लीना सोरेन बताती है कि छात्राओं को खेल में बढ़यिा प्रदर्शन कराने को लेकर इन दिनों बेहतर तरीके से अभ्यास कराया जाता है, जिसका परिणाम भी अब मिलने लगा है। कस्तूरबा विद्यालय की वार्डन स्नेहलता कुमारी की माने तो खेलकूद से बच्चियां व्यवहारिक गतिविधियों में आगे बढ़ रही है। इससे उनका सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
नेटबॉल कोच मोनालिसा का मानना है कि खेलों में अब निवेश करने की जरूरत है। कई स्पर्धाओं में हम ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी ग्रामीण स्तर से निकाल सकते हैं लेकिन इसके लिए प्रोपर ट्रेनिग और पे एंड प्ले योजना को बढ़ावा देने की जरूरत है। शहर के खेल मैदानों का यदि सही ढंग से संचालन किया जाए तो इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे। पढ़ाई का बोझ कम कर खेलों का विकास हो : यूथ आईकॉन पवन सिंह का मानना है कि विद्याíथयों पर पढ़ाई का बोझ कम कर खेलों का विकास करने को पहल करने की जरूरत है। मौजूदा समय में बच्चे के पास खेलों के लिए समय नहीं बच पा रहा है। इसके लिए अभिभावकों को अपने बच्चों की रूचि परख कर आने आना चाहिए। विद्याíथयों में खेल रुचि को बढ़ाना होगा। शहर में जो मैदान हैं, उनकी देखरेख बेहतर ढंग से करने की जरुरत है। खेल लोगों को अपनी क्षमताओं का बेहतरीन इस्तेमाल करने, सहकारी टीम प्रयास का हिस्सा बनने, जीतने और हारने का आनंद एवं कई बार दुख अनुभव करने के बहुत से अवसर उपलब्ध कराते हैं। साथ में खेल में होड़ करना बस मजे की बात होती है। प्रतियोगिता लोगों को अपने जीवन में विपरीत स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करती है और चुनौती और परिवर्तन की सूरत में डटकर मुकाबला करना सिखाती है।