जंगल की संपदा से आदिवासी बनेंगे आत्मनिर्भर
गोड्डा जंगलों में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय के जीवन में बदलाव लाने के लिए वन विभाग ने
गोड्डा : जंगलों में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय के जीवन में बदलाव लाने के लिए वन विभाग ने कई कल्याणकारी परियोजनाओं की डीपीआर तैयार की है। जंगल में उपलब्ध संपदाओं से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। जिले के सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर प्रखंड के जंगलों में साल पेड़ का पत्ता सहित अन्य कंदमूल, फल, बीज आदि बेचकर गुजारा करने वाले आदिवासी परिवारों को उचित बाजार व तकनीकी सुविधा मुहैया कराने की दिशा में काम किया जा रहा है। जंगल से ही इन आदिवासियों को रोजगार मिले, इसके लिए वन विभाग ने कई प्रोजेक्ट तैयार कर प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। प्रस्ताव पर स्वीकृति मिलने के बाद इन आदिवासियों को रोजगार के साधन मिल सकते हैं।
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पेड़ के पत्ते से प्लेट बनाने की मशीन लगाने का प्रस्ताव : सुंदरपहाड़ी के आसपास रहने वाले लोग साल के पत्तों को तोड़कर सस्ते दामों में गोड्डा तथा आसपास के हाटों में बेच देते हैं। अगर साल के पत्ते को थाली तथा प्लेट की शक्ल में ढालकर बाजार में आदिवासी कारोबारियों को उपलब्ध करा दिया जाए तो ऐसे परिवारों को अच्छी आमदनी हो जायेगी। इन लोगों की माली हालत सुधर सकती है। इसके लिए डमरूहाट के पास पत्ते से बनने वाली थाली और प्लेट के लिए बड़ी मशीन लगाने की योजना है। यहां प्रति दिन 50 हजार थाली व प्लेट बनाए जाएंगे।
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औषधीय पौधों के उपयोग की मिलेगी जानकारी : सुंदरपहाड़ी तथा बोआरीजोर के जंगलों में औषधीय पौधे (हर्बल प्लांट) बहुतायत पाए जाते हैं। सफेद मूसली, अश्वगंधा, चीरौता, गुरूज, अमृता आदि के पौधे जंगलों में भरे पड़े हैं। जानकारी के आभाव में बाहर से आकर लोग इन औषधीय पौधों को औने-पौने दाम में खरीद कर ले जाते हैं। इसलिए औषधीय पौधे की सही जानकारी, उपयोग तथा इसे नए तरीके से लगाने के लिए आदिवासियों को प्रशिक्षण देने की भी योजना है। जिससे इन लोगों की आय में वृद्धि होगी। कोकून की खेती से अदिवासियों को मिलेगा लाभ : तस्सर विभाग द्वारा जंगलों में अर्जुन का पौधा लगाकर कोकून को इस पेड़ पर डालते हैं। इससे रेशम का धागा निकाला जाता है। वन विभाग की योजना है कि जंगलों में कोकून उत्पादन आदिवासियों द्वारा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कराया जाएगा। इससे होने वाले लाभ को उन्हीं लोगों के मध्य वितरित किया जाएगा। आदिवासियों को कोकून सस्ते दामों पर इनको मिले। इसके लिए भी वन विभाग प्रयासरत है।
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प्राकृतिक जल स्त्रोतों से बोतल बंद आरण्य जल का होगा निर्माण : सुंदरपहाड़ी के जंगलों में कई जगह प्राकृतिक जल स्त्रोत हैं। यह जल मिनरल वाटर से भी ज्यादा शुद्ध तथा स्वादिष्ट है। इस जल को बोतल में बंद कर इसका व्यापार कराया जाए तो आदिवासियों को इससे काफी आमदनी होगी। इस जल का नाम आरण्य जल रखने का प्रस्ताव है। इस उद्योग से होने वाले लाभ को वहां के आदिवासियों के बीच वितरण करने की योजना है।
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फोटो : 18
जिला के सुंदरपहाड़ी और बोआरीजोर प्रखंड में आदिवासियों की आबादी अच्छी खासी है। यहां बड़ी आबादी जंगलों में रहती है। इनके जीवन में बदलाव लाने के लिए वन विभाग की ओर से कई प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को भेजे गए हैं। इसकी स्वीकृति मिलने पर आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
पीआर नायडू, डीएफओ गोड्डा।