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झारक्राफ्ट के पास बुनकरों का चार लाख बकाया

पेज तीन की संभावित लीड फोटो 23 से 27 - पोड़ैयाहाट के कई गांवों में तंगहाली में जी रहा बुनकर परिवार - नया आर्डर नहीं मिलने से पलायन की समस्या गहराई संवाद सहयोगी पोडै़याहाट एक ओर केंद्र सरकार स्कील इंडिया के माध्यम से आम लोगों को रोजगार के साथ जोड़ने की मुहिम चला रही है वहीं दूसरी और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से हजारों बुनकर परिवार पलायन को विवश हैं । पोड़ैयाहाट प्रखंड के मुर्गाबनी गांव में पिछले तीन साल से बुनकरों का तकरीबन 4 लाख रुपये झारक्राफ्ट के पास बकाया। इन बुनकरों को कंबल निर्माण के एवज में

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 07:06 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 07:06 PM (IST)
झारक्राफ्ट के पास बुनकरों का चार लाख बकाया
झारक्राफ्ट के पास बुनकरों का चार लाख बकाया

पोडै़याहाट : एक ओर केंद्र सरकार स्कील इंडिया के माध्यम से आम लोगों को रोजगार के साथ जोड़ने की मुहिम चला रही है वहीं दूसरी और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से हजारों बुनकर परिवार पलायन को विवश हैं। पोड़ैयाहाट प्रखंड के मुर्गाबनी गांव में पिछले तीन साल से बुनकरों का तकरीबन 4 लाख रुपये झारक्राफ्ट के पास बकाया। इन बुनकरों को कंबल निर्माण के एवज में झारक्राफ्ट की ओर से मजदूरी भुगतान नहीं किया गया है। विभाग बकाया राशि देने का नाम नहीं ले रहा है और ना ही कोई नया ऑर्डर ही दे रहा है । इसके कारण बुनकर परिवार यहां से पलायन का मूड बना रहे हैं।

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क्या है मामला : पोडै़याहाट प्रखंड स्थित मुर्गाबनी के बुनकरों को 2016 - 17 में झारक्राफ्ट गोड्डा से तकरीबन 8,000 कंबल बनाने का आर्डर मिला था। इसके लिए पंजाब से कच्चा माल मंगाकर सभी बुनकरों को दिया गया था। बुनकरों ने समय सीमा के पहले ही कंबल बनाकर झारक्राफ्ट को सौंप दिया। करीब 6000 कंबल यहां से उठाकर झारक्राफ्ट वाले ले गए । इस कार्य के एवज में मजदूरी तकरीबन 5 लाख रुपये अनुमानित है। इसमें एक लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। शेष चार लाख रुपये बकाया है। तीन साल बीतने के बावजूद बुनकरों को मजदूरी भुगतान नहीं किया गया है। इन तीन सालों में मजदूर रांची और गोड्डा का चक्कर लगाकर थक गए हैं लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिल पाया। बुनकरों के घरों में मशीनें बंद पड़ी हुई है।

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बुनकर करने लगे पलायन : बुनकरों को बकाए मजदूरी का भुगतान नहीं होने के साथ- साथ उन्हें नया काम भी नहीं मिल रहा है। इस कारण वे मेरठ सहित अन्य महानगरों में पलायन करने लगे हैं। युवा कारीगर जाकिर अंसारी ने बताया कि पहले गांव में ही काम करते थे। झारक्राफ्ट से भी आर्डर मिल जाता है। कंबल सहित अन्य हैंडलूम के कपड़े तैयार करते थे और झारक्राफ्ट इसे ले लेती थी। इधर तीन साल से आर्डर बंद है। पुराना भुगतान भी नहीं मिल रहा है। फिरदोस अंसारी ने बताया कि रोजी-रोटी का सवाल है । एक दिन में 35 कंबल तैयार कर लेते थे। प्रति कंबल मजदूरी 60 से 65 रुपया है। अभी काम बंद है। बुनकर अब्दुल्ला अंसारी, सलीमउद्दीन अंसारी, मुफीजउद्दीन अंसारी, अकबर अंसारी, फिरदोस अंसारी ,अब्दुल लतीफ, लाल मोहम्मद आदि दर्जनों कारीगर बेकार बैठे हैं। कई यहां से महानगरों की ओर से पलायन कर गए है। पोडै़याहाट मतकुप्पी में 20, बांसमुंडी में 10, बांझी में 12 ,मुर्गाबनी में 60 , खरकचिया में 20, लालमटिया में 30 बुनकर परिवार हैं।

------------------------ झारक्राफ्ट की उदासीनता से बुनकर परिवारों में बेकारी का दौर है। झारक्राफ्ट ने यहां के मजदूरों को मजदूरी भी नहीं दिया है। अभी स्कूल ड्रेस, हॉस्पिटल का पर्दा, बेडशीट आदि का आर्डर मिलना चाहिए। सरकार अगर आदेश दे तो इन सारी चीजों की आपूर्ति स्थानीय बुनकर कर सकते हैं। बुनकरों को नया आर्डर मिलना चाहिए। काम नहीं मिलने पर बचे हुए लोग भी पलायन कर जाएंगे। -मफीजउद्दीन अंसारी, हेड बुनकर।

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उद्योग विभाग की ओर से पोड़ैयाहाट के बुनकर परिवारों की फाइल झारक्राफ्ट भेजी गई है । इसके लिए श्रम विभाग की ओर से झारक्राफ्ट को भुगतान कर दिया गया है। विभाग शीघ्र ही बकाया मजदूरी भुगतान करवाने का प्रयास करेगा।

- अवध किशोर, महाप्रबंधक, उद्योग विभाग।


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