जैविक खाद के प्रयोग से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति
गोड्डा धान की अधिक पैदावार के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पद्धति है। इसमें र
गोड्डा : धान की अधिक पैदावार के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पद्धति है। इसमें रसायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, हरी-नीली शैवाल, गोबर खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जाता है। धान के उत्पादन में मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिक आदि महत्वपूर्ण हैं। इसकी भरपाई किसानों द्वारा रासायनिक उर्वरकों की उपयोग से की जाती है। मृदा को स्वास्थ्य को बनाए रखने, मृदा की उपजाऊ को शक्ति को बढ़ाने एवं लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने के लिये एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन अत्यंत आवश्यक हैं। उक्त बातें बुधवार को ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में बुधवार को प्रसार कार्यकर्ताओं के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सस्य वैज्ञानिक डॉ अमितेश कुमार सिंह ने कही।
कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ रितेश दुबे ने बताया कि जैविक खेती से पर्यावरण स्वच्छ, प्राकृति संतुलित तथा भूमि, जल एवं वायु प्रदूषित किये बिना उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इस पद्धति में रसायन का उपयोग न्यूनतम व आवश्यकतानुसार किया जाता है। कहा कि 200 लीटर क्षमता वाले प्लास्टिक के ड्रम में 200 लीटर पानी, दो किग्रा गुड़ एवं वेस्ट डीकम्पोजर मिलाकर एक सप्ताह में घोल तैयार किया जाता है। वेस्ट डीकंपोजर के तैयार घोल से जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशी तैयार कर सकते हैं। जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक का प्रयोग सभी फसलों, सब्जियों तथा फलों में कर सकते हैं।
मौसम वैज्ञानिक रजनीश प्रसाद राजेश ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अन्तर्गत प्रसार कार्यकर्ताओं को मौसम की त्वरित जानकारी के लिए दामिनी एप एवं मेघदूत एप को मोबाइल में इंस्टॉल करने की अपील की। सभी प्रसार कार्यकर्ताओं को अमरूद का पौधा एवं वेस्ट डीकंपोजर वितरित किया गया। मौके पर हेमलाल सोरेन, महानारायण हेम्ब्रम, मनोरमा देवी, पिकी देवी, कल्पना देवी, राजनंदन हांसदा, मोहम्मद शमीम अंसारी, रंजीत मरांडी, मोहम्मद मुबारक, मथीस हांसदा, सोनोत टुडू, लोबिन मुर्मू आदि प्रसार कार्यकर्ता प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।