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आग से झुलसे तो जिले में नहीं हो सकेगा इलाज

गोड्डा स्थित अस्पताल में बर्न वार्ड की अबतक कोई व्यवस्था नहीं है। सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होनेवाले बर्न केस मरीजों को किया जाता रेफर। वातानुकूलित कमरा भी इन मरीजों को नहीं मिलता है न ही मच्छरदानी उपलब्ध कराई जाती है। जिस कारण मरीजों को भारी परेशानी है।

By Gautam OjhaEdited By: Published: Sat, 03 Sep 2022 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 03 Sep 2022 06:13 PM (IST)
आग से झुलसे तो जिले में नहीं हो सकेगा इलाज
अस्पताल में चले हुए व्यक्ति का कुछ इस तरह हो रहा इलाज। जागरण

जागरण संवाददाता, गोड्डा : जिले में आग से झुलसने या करंट लगने से झुलसे मरीज के समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है। जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इमरजेंसी वार्ड में जले हुए मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। इस दौरान महिला मरीजों को महिला वार्ड और पुरूष मरीजों को पुरूष वार्ड में भर्ती कर उनका उपचार किया जाता है। बर्न केस में अधिकांश मरीजों को यहां से रेफर ही किया जाता है, क्योंकि मरीजों के लिए यहां अलग से कोई बर्न वार्ड की व्यवस्था नहीं है। वातानुकूलित कमरा भी इन मरीजों को नहीं मिलता है। न ही मच्छरदानी उपलब्ध कराई जाती है। एक ही वार्ड में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ बर्न मरीजों को भर्ती करने से संक्रमण का खतरा भी बना रहता है। इससे उनका मर्ज कई गुणा बढ़ जाता है। जागरूकता के अभाव में मरीज व उसके स्वजन भी अस्पताल प्रबंधन से कुछ नहीं बोल पाते। शुक्रवार को सदर अस्पताल के पुरूष वार्ड में दो बर्न मरीज भर्ती थे।

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केस स्टडी एक : सदर प्रखंड के रामनगर मोहल्ला निवासी 42 वर्षीय प्रकाश यादव ने बताया कि गैस सिलेंडर लीक करने के कारण वह 29 अगस्त को आग की चपेट में आ गए थे। इससे उसका दोनों पैर गंभीर रूप से झुलस गया था। इसके बाद आनन-फानन में उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताया कि अस्पताल में कमोड लगाया जाना चाहिए। यदि हादसे में पैर झुलस जाए तो इंडियन टायलेट में बर्न मरीजों को शौच करने में काफी परेशानी होती है।

केस स्टडी दो : सदर प्रखंड के मोतिया गांव निवासी 45 वर्षीय राजकुमार मंडल 25 अगस्त से सदर अस्पताल के पुरूष वार्ड में भर्ती हैं। राजकुमार ने बताया कि घटना के दिन अल सुबह वे खेत गए थ। इस दौरान बिजली तार की चपेट में आने से वे गंभीर रूप से झुलस गए। उन्हें सदर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में बर्न वार्ड नहीं होने के कारण मेल वार्ड में बेड नंबर 18 पर भर्ती किया गया है। बताया कि संसाधनों का अभाव है, लेकिन स्वास्थ्य कर्मी पूरा खयाल रखते हैं। सदर अस्पताल में बर्न वार्ड बना दिया जाए तो गंभीर मरीजों को बाहर रेफर नहीं होना पड़ेगा।

डाक्टर अनंत कुमार झा, सिविल सर्जन, गोड्डा।एचएमएस की बैठक में बर्न वार्ड निर्माण का मामला उठाया जाएगा। फिलहाल सदर अस्पताल में ही खाली पड़े कमरे में छह बेड की क्षमता का बर्न वार्ड बनाया जाएगा। इसमें एसी सहित सभी प्रकार की समुचित व्यवस्था बर्न मरीजों के लिए उपलब्ध रहेगी। जल्द ही इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा, ताकि मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो।


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