Move to Jagran APP

गोड्डा सूखाग्रस्त घोषित, केंद्रीय टीम करेगी सर्वे

सुखाड़ की स्थिति पिछले वर्ष से भी खराब किसानों ने कहा- जमीनी स्तर पर हो काम

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 07:36 PM (IST)
गोड्डा सूखाग्रस्त घोषित, केंद्रीय टीम करेगी सर्वे
गोड्डा सूखाग्रस्त घोषित, केंद्रीय टीम करेगी सर्वे

संवाद सहयोगी, गोड्डा : गोड्डा को लगातार दूसरी बार सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित किया है। सरकार की घोषणा से किसानों में उम्मीद जगी है। अब उनकी बर्बाद फसल की भरपाई हो सकेगी। सरकार की इस घोषणा के बाद केंद्रीय टीम यहां आकर सर्वे कर हालात का जायजा लेगी।

loksabha election banner

हालांकि आनेवाले समय में ही यह तय हो पाएगा कि सुखाग्रस्त क्षेत्र घोषित होने से किसानों को कितना फायदा मिल पा रहा है। किसानों की मानें तो अबतक जितनी बार सुखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया, जमीन स्तर से किसानों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया है। वैसे भी खेती का कोई विकल्प नहीं है। ऐसे अब किसान चाह रहे हैं कि सुखाग्रस्त का लाभ किसानों को मिले। क्षेत्र में सिचाई व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। इसके साथ ही समय रहते वैकल्पिक खेती के साथ ही रबी की खेती के लिए सरकार मदद करे। इसके लिए ज्यादा प्रयास होना चाहिए। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष 51 हजार हेक्टेयर भूमि पर धनरोपनी का लक्ष्य रखा गया था। इसके अनुपात में मात्र 45 फीसद ही धनरोपनी हो पाई। मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड को छोड़कर किसी भी प्रखंड में 25 फीसद से अधिक रोपनी नहीं हुई। खरीफ की फसल वर्षाभाव के कारण परती जमीन को भी निहारती रह गयी। यहां तक कि जो फसल लगी भी है वो भी वर्षा न होने के कारण बर्बाद हो चुकी है। बीते वर्ष खरीफ मौसम में 79.5 प्रतिशत धनरोपनी हुई थी। दूसरी ओर इस वर्षा में में सबसे खराब स्थिति गोड्डा जिला की रही है। राज्य भर में सबसे कम वर्ष एक जून से 26 सितंबर तक गोड्डा जिला में हुए है। मौसम विभाग के मुताबिक जिले में सामान्य से 58 प्रतिशत कम वर्षा रिकार्ड की गयी है। किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान अगस्त में वर्षा नहीं होने से हुआ है। यह समय ऐसा था जहां किसान अपने तैयार खेत में बिचड़े को लगाकर भरपाई कर सकते थे लेकिन हालात इतने खराब हुए कि खेतों लगे बिचड़े सूख कर नष्ट हो गए वहीं जलग्रहण क्षेत्र भी पूरी तरह सूखा रह गया। कृषि विभाग के मुताबिक अगस्त माह में सामान्य वर्षापात 253.5 मिलीमीटर है जहां इस वर्ष अगस्त में 74 मिमी रिकार्ड की गयी है। जबकि बीते वर्ष अगस्त माह में 205 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गयी थी। बीते वर्ष धनरोपनी लगभग 80 प्रतिशत हो गयी थी लेकिन सितंबर माह में मानसून ने दगा दे दिया और सितंबर माह के सामान्य वर्षापात 189.8 प्रतिशत की जगह बीते वर्ष मात्र 75.7 मिमी ही वर्षा हो पायी, जिसकी भरपाई नहीं हो पायी और वर्ष-2018 में सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करना पड़ा। जबकि इस वर्ष अगस्त में सामान्य से काफी कम वर्षा रिकार्ड की गयी। सितंबर मास में अबतक 111 मिमी वर्षा रिकार्ड की गयी है। कृषि वैज्ञानिक राकेश रंजन सिंह ने बताया कि समय पर वर्षा न होने से खरीफ फसल को नुकसान हुआ। लोग खेती नहीं कर पाये। अब किसान रबी की खेती की तैयारी करें ताकि भरपाई हो सके। खेतों में भी नमी कुछ आयी है।

--------------

जिला को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। किसानों के लिए कृषि विभाग हर स्तर से सुविधा देने को प्रयासरत है। कम वर्षा ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। जल्द ही केंद्रीय टीम सर्वे के लिए आएगी। इसके बाद किसानों के लिए राहत पैकेज दिया जाएगा। विभाग का प्रयास है कि वैकल्पिक खेती और रबी की खेती हो, इसके लिए किसानों को हर स्तर से मदद देने के लिए उपलब्ध संसाधन से विभाग तैयार है।

- सुनील कुमार, प्रभारी जिला कृषि पदाधिकारी, गोड्डा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.