मां दुर्गा मंदिरों में शारीरिक दूरी से हो रही पूजा-अर्चना
गोड्डा जिला मुख्यालय सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में देवी मंदिरों सहित पूजा घरों में सोमवार
गोड्डा : जिला मुख्यालय सहित सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में देवी मंदिरों सहित पूजा घरों में सोमवार को शारदीय नवरात्र में देवी भगवती के चंद्रघंटा रूप की पूजा-अर्चना की गई। सरकार द्वारा जारी निर्देश के आलोक में ही पूजा हो रही है। इस बार दुर्गा पूजा का रंग फीका है। नवदुर्गा स्थापना से लेकर सोमवार तक तीन पूजा के दौरान किसी भी दुर्गा मंदिरों में भीड़ भाड़ नहीं देखा गया। छोटी प्रतिमाओं के निर्माण कराए जा रहे हैं। मंदिर जाने वाले मार्ग में तोरण द्वार भी नजर नहीं आ रहे हैं। जिला मुख्यालय के रौतारा-बढ़ौना, शिवपुर-सिनेमाहाल, बड़ी दुर्गा, गोढ़ी नगर दुर्गामंदिर, सरकंडा दुर्गा मंदिर के अलावा कुरमन, चिलौना आदि मंदिरों में वैष्णवी पूजा हो रही है। जबकि डुमरिया, मोतिया, महेशपुर, बारकोप, महागामा, कसबा आदि जगहों पर तांत्रिक विधि से मां दुर्गा की पूजा की जा रही है।
पंडित मंगल झा ने बताया कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र का विशेष महत्व है। इस बार नवरात्र व पितृपक्ष के बीच एक माह का अंतर आया है। आश्विन मास में मलमास लगने व एक माह के अंतर पर नवरात्र प्रारंभ का संयोग 165 साल पहले बना था।
मेहरमा : प्रखंड मुख्यालय सहित क्षेत्र के विभिन्न गांवों के दुर्गा मंदिरों में नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की आराधना की गई। प्रखंड के ईटहरी गांव स्थित मां दुर्गा मंदिर में आचार्य आनंद कुमार मिश्रा तथा पुरोहित मधुसूदन तिवारी के द्वारा पाठ किया जा रहा है। ग्रामीण संजीव कुमार सिंह ने बताया कि वर्षों से यहां मां दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना होते आ रही है। इस बार सादगी पूर्ण वातावरण में पर्व मनाया जा रहा है। कमेटी के अध्यक्ष सह ग्राम प्रधान निर्मल पोद्दार, सचिव विनोद सिंह आदि ने बताया कि दुर्गापूजा में सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है।
इधर पत्तीचक, पिरोजपुर दुर्गा स्थान में बनारस के विद्वान पंडित बालकृष्ण मिश्र एवं पंडित सूर्य प्रकाश मिश्र द्वारा चंडी पाठ कराया जा रहा है। यजमान के रूप में रंजन कुमार सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी नीलू सिंह पूजा अनुष्ठान में शामिल हैं। पूजा समाप्ति के बाद मां के दरबार में आरती वंदना की गई। इस संबंध में जानकारी देते हुए रंजन कुमार सिंह ने बताया कि बीते कई वर्षों से मां दुर्गा मंदिर में पूजा अर्चना धूम धाम से होती थी। प्रत्येक वर्ष रासलीला, भव्य पंडाल, एवं आकर्षक प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केंद्र होता था। महाप्रसाद वितरण हजारों श्रद्धालुओं के बीच कराया जाता था। परंतु इस बार सरकार के निर्देशानुसार कोरोना संक्रमण के कारण सभी निर्देशों का पालन करते हुए सादगी तरीके से मां की पूजा आराधना की जा रही है। इसके अलावा क्षेत्र के बलबड्डा, कसबा, अमजोरा पिरोजपुर, सहित दर्जनों जगह के मंदिरों में पूजा अर्चना की जा रही है।
ललमटिया : सोमवार को पुरानी दुर्गा मंदिर ललमटिया एवं राजमहल परियोजना के दुर्गा मंदिर में देवी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की गई । पंडित पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि मां का तीसरा रूप राक्षसों का वध करने के लिए जाना जाता है । मान्यता है कि वह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती है ,इसीलिए उनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है। इनकी उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई है। मां चंद्रघंटा की उपासना करने से भक्तों को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति मिलती है। नवरात्र के तीसरे दिन माता चन्द्रघंटा की साधना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले उपासक को संसार में यश, कीर्ति और सम्मान मिलता । वहीं मंदिर के भक्त नंदलाल पंडित ने बताया कि ललमटिया स्थित डकैता मौजा में पुरानी दुर्गा मंदिर में माता रानी की पूजा कई दशकों से हो रही है।
ठाकुरगंगटी : प्रखंड के मोरडीहा दुर्गा मंदिर में तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा की पूजा सोमवार को पारंपरिक रूप से की गई। उपस्थित पंडित पंकज कुमार झा , पुजारी बालेंदु शेखर , सहयोगी गोपाल ठाकुर , मोती पंडित , शंकर ठाकुर , योगेश ठाकुर , बिलास यादव , ब्यासमुनी साह , पूर्णानंद पंडित आदि ने पूजा अनुष्ठान संपन्न कराया।