बड़ी दुर्गा मंदिर में बांग्ला पद्धति से होता पूजन
स्थानीय बाबूपाड़ा स्थित वैष्णवी दुर्गा मंदिर जिला मुख्यालय के सबसे पुराना मंदिर है। यहां बांग्ला पद्धति से देवी दुर्गा का पूजन करने की प्राचीन परंपरा है। यहां पहली पूजा से लेकर दसवीं तक दुर्गा सप्तशती पाठ सहित विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इसकी स्थापना तत्कालीन राजाभिठा व बनैली स्टेट द्वारा कराया गया था
गोड्डा : शहर के बाबूपाड़ा स्थित वैष्णवी बड़ी दुर्गा मंदिर जिला मुख्यालय का सबसे पुराना मंदिर है। यहां बांग्ला पद्धति से देवी दुर्गा की पूजन करने की प्राचीन परंपरा है। यहां पहली पूजा से लेकर दसवीं तक दुर्गा सप्तशती पाठ सहित विविध आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन सतत होता है। इस मंदिर की स्थापना तत्कालीन राजाभिठा व बनैली स्टेट की ओर से कराया गया था। बंगाली समुदाय द्वारा इस मंदिर की नींव 1934 में रखी गई थी। शुरुआती दौर से ही बंगाली समुदाय द्वारा प्रतिमा स्थापित कर पूजन की जा रही है। पूर्व में गोड्डा सब डिवीजन था। उस समय संताल परगना जिला का यह अंग हुआ करता था। वर्ष 1984 में जिला गठन के बाद यहां आबादी बढ़ने लगी। दूर दराज के गांवों से आकर लोगों ने यहां बसना शुरू कर दिया। इसके बाद पूजन व्यवस्था स्थानीय पूजा समिति के हाथों में आ गई। पूजा कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम कुमार दुबे, सचिव सुमित कुमार घोष उर्फ बॉबी, सदस्य मिथिलेश कुमार दुबे, सुजीत कुमार दुबे आदि को है। इसके द्वारा इस वर्ष धूमधाम से पूजन कार्यक्रम को अंजाम दिया जा रहा है।
क्या है बजट : पूजा समिति के अध्यक्ष प्रीतम कुमार दुबे व सचिव सुमित कुमार घोष ने बताया कि इस वर्ष का अनुमानित बजट दो लाख है। जबकि पिछले बार पौने दो लाख के लगभग खर्च आया था। इस पूजा में सभी कार्यक्रम नियत समय पर होते हैं। इसके अलावा सप्तमी को मां दुर्गा सहित अन्य प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जायेगा। इसके बाद मेला शुरू होगा। श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर व्यापक व्यवस्था की गयी है।