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दिव्या कंस्ट्रक्शन पर नहीं होगी प्राथमिकी

गोड्डा : पथरगामा प्रखंड के कोरका-पकड़िया मार्ग में खट्टी नदी पर चार करोड़ 40 लाख की लागत से निर्मित पु

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 06:08 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 06:08 PM (IST)
दिव्या कंस्ट्रक्शन पर नहीं होगी प्राथमिकी
दिव्या कंस्ट्रक्शन पर नहीं होगी प्राथमिकी

गोड्डा : पथरगामा प्रखंड के कोरका-पकड़िया मार्ग में खट्टी नदी पर चार करोड़ 40 लाख की लागत से निर्मित पुल के टूटने के मामले में अब इसे बनानेवाली कंपनी दिव्या कंस्ट्रक्शन पर प्राथमिकी नहीं होगी। कंपनी ने अपने खर्च पर पुल की मरम्मत कराने की बात विभाग से कही थी जिसे स्वीकृति मिल गई है। इसके बाद पुल की मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया गया है। काम काफी तेजी से चल रहा है। इस माह के अंत तक उसकी ढलाई भी हो जाने की उम्मीद है।

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गौरतलब हो कि नौ दिसंबर 2018 की रात रास्ता भटकने की वजह से पेंट लदा दो ट्रक उक्त पुल पर पहुंच गया था। एक साथ दो ट्रकों का वजन पुल बर्दाश्त नहीं कर सका और टूट गया। 11 अक्टूबर 2014 को इसका कार्य कंपनी को आवंटित किया गया था तथा 29 मार्च 2016 को यह पूरा हो गया। 13 जुलाई 2016 को कंपनी को राशि का भी भुगतान कर दिया गया। पुल टूटने के बाद 11 दिसंबर को स्पेशल डिवीजन के अधीक्षण अभियंता ने क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण किया था। उधर, उपायुक्त द्वारा गठित एक टीम ने भी पुल का निरीक्षण किया था। रिपोर्ट सरकार को भेजी गई थी। इसके बाद विभाग के कार्यपालक अभियंता श्रवण कुमार ¨सहा व कनीय अभियंता महेंद्र तिवारी को निलंबित कर दिया गया था। स्पेशल डिवीजन के तत्कालीन सहायक अभियंता कौशलेंद्र कुमार ¨सह पर भी कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। हालांकि, अब वे अवकाश ग्रहण कर चुके हैं। निर्माण एजेंसी पर प्राथमिकी दर्ज कराने का भी निर्देश दिया गया था। काली सूची में भी डालने की बात कही गई थी। अभियंताओं को तो निलंबित कर दिया गया लेकिन कंपनी पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। न ही उसे काली सूची में डाला गया। अब पुल की मरम्मत भी शुरू हो गई है। खूब हुई थी राजनीतिक बयानबाजी : 32 माह में ही पुल के टूट जाने पर खूब राजनीतिक बयानबाजी हुई थी। चूंकि पुल का निर्माण झामुमो की सरकार में हुआ था इसलिए स्थानीय सांसद डॉ. निशिकांत दुबे व विधायक अमित मंडल ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। सांसद ने तो इस मामले से पीएमओ को भी अवगत कराने की बात कही थी लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ। पुल टूटने पर सांसद व विधायक ने ही अलग-अलग बयान जारी कर कहा था कि इस मामले की शिकायत उन्होंने विभाग से की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कुछ लोगों ने सांसद-विधायक पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब भाजपा सरकार अपने ही सांसद-विधायक की बात नहीं सुनती है तो और लोगों की तो भगवान ही मालिक हैं। अपनों के लिए बनाए रास्ते से निकल गई दिव्या कंस्ट्रक्शन : अगस्त 2016 में पलामू के पांकी व 2017 में गढ़वा में पुल टूटने की घटना हुई थी। उक्त दोनों की पुलों का निर्माण भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ। दोनों का काम करानेवाले भी भाजपा समर्थक थे। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए यह तय हुआ कि पुल का निर्माण अपने खर्च पर करा देने पर कंपनी पर कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद संबंधित ठेकेदारों ने दोनों पुलों का निर्माण करा दिया। दिव्या कंस्ट्रक्शन ने भी घटना के बाद अपने खर्च पर पुल निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा जिसे विभाग ने मान लिया।


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