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मानसून की दगाबाजी से किसानों में मायूसी

है। वही किसानों का कहना है जो निर्णय माह

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 06:41 PM (IST)
मानसून की दगाबाजी से किसानों में मायूसी
मानसून की दगाबाजी से किसानों में मायूसी

मानसून की दगाबाजी से किसानों में मायूसी

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संवाद सहयोगी, गोड्डा: जिला भीषण सुखाड़ की चपेट में है। हालात दिनों दिन बदतर होते जा रहे हैं, लेकिन शासन के स्तर से अबतक कोई ठोस पहल होती कहीं से नहीं दिख रही है। यही नहीं सुखाड़ के कारण खेत बहियार परती रह गये। खेती में नमी तक नहीं है। इस हालात के बीच अब पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है ग्राउंड वाटर लेबल लगातार नीचे जाने के कारण शहर से ग्रामीण इलाकों में चापानल के जलस्रोत खत्म होने लगे हैं, जबकि जलग्रहण क्षेत्र पहले से ही सूखा पड़ा हुआ है। इसके कारण आम लोगों के साथ ही पशुधन को भी पानी कि किल्लत होने लगी है यानि हालात खराब होते जा रहे है वही इन सारी चीजों से बेखबर यहां के जनप्रतिनिधि भी अपने कार्यक्रम में ही व्यवस्त ही है। सुखाड़ को लेकर एक दो पत्र सरकार को लिखकर खानापूर्ति कर चुके हैं। इसके बाद कही से कोई पहल नहीं हो रही है अब किसान मजदूर, पशुपालक के साथ आम लोग में परेशान है। हताशा व निराशा का माहौल बन गया है। मानसून की दगाबाजी ने किसान के साथ ही आम लोगों को तबाह कर दिया है जिसके दूरगामी दुष्परिणाम की आहट सुनाई देने लगी है। कृषि विभाग की मानें तो बीते वर्ष 16 अगस्त तक जिला में जहां 96 प्रतिशत धनरोपनी हो चुकी थी वहीं बीते वर्ष 16 अगस्त तक 112 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई थी जबकि इस वर्ष धनरोपनी का समय समाप्त होने के बाद जिला में महज पांच फीसद ही धनरोपनी हो पाई जिनकी स्थिति बेहद खराब है वही अगस्त माह में इस वर्ष 49.3 मिमी आज तक रिकार्ड की गई है जो सामान्य से लगभग दो सौ मिमी कम है। यही नहीं बीते जुलाई माह में भी सामान्य दो सौ मिमी कम वर्षा जिला में रिकार्ड की गई थी। वर्ष भर में सबसे अधिक वर्षा जिला में दो माह जुलाई व अगस्त में होती है लेकिन दोनों माह अब तक सूखा रहा है जिससे की आने वाले स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस साल मानसून पूरी तरह खराब साबित हुआ है। यही कारण है कि जिला में अब हालात दिनों दिन खराब होते जा रहे है। अब जो संभावना बन रही है आनेवाले समय में जिला में खाद्यान्न संकट के साथ जलसंकट व पशुचारा की समस्या से निबटा चुनौती होगी। जिसकी कोई ठोस पहल होती दिख नहीं रही है शासन से लेकर जनप्रतिनिधि भी मामले को लेकर कहीं से भी गंभीर नहीं दिख रहे है। इधर सुखाड़ के हालात को लेकर राज्य सरकार के विशेष सचिव प्रदीप हजारी बीते नौ अगस्त जिला का दौरा कर जा चुके है जहां उन्होंने माना था कि जिला में सुखाड़ की हालत चिंताजनक है। अब सरकार के स्तर से क्या पहल होती है इस पर लोगों की नजरें टिकी हुई है। वही किसानों का कहना है जो निर्णय माह भर पहले लेने चाहिए था सरकार अबतक इस पर मंथन ही कर रही है ऐसे में आनेवाले समय में समस्या बढ़ती ही चली जायेगी। सारा खेल खराब मानसून ने बिगाड़ा है।


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