चिंता का कारण बना जिले में घटता वनक्षेत्र
गोड्डा : जिले में वनभूमि तमाम प्रयास के बाद भी बढ़ने का नाम नहीं ले रही है जो ¨चता का विषय
गोड्डा : जिले में वनभूमि तमाम प्रयास के बाद भी बढ़ने का नाम नहीं ले रही है जो ¨चता का विषय बना हुआ है। हर वर्ष विभाग की ओर लाखों पौधे लगाने के दावे किये जाते हैं लेकिन इसके बाद भी आंकड़ों में सुधार होता नहीं दिख रहा है। वन विभाग के मुताबिक जिले में कुल भूमि का मात्र 10 फीसद (20667.77 हेक्टेयर) ही क्षेत्र वनभूमि का है जबकि राष्ट्रीय मानक 33 प्रतिशत है। इस लक्ष्य से जिला काफी दूर है। जिले के सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर प्रखंड के अलावा पोड़ैयाहाट का पूर्वी इलाका ही वनाच्छादित है। पर्यावरण की स्थिति वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। जिस अनुपात में पौधा लगाया जा रहा है उससे अधिक पेड़ भी कट रहे हैं। जो पौधे लगाये भी जा रहे हैं उनकी भी सही देखभाल नहीं हो पा रही है। मौसम वैज्ञानिक रतन कुमार महतो कहते हैं कि नदी, जंगल व पहाड़ बचाना आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा। पर्यावरण संतुलन के लिए जलचक्र, मौसम चक्र, इको तंत्र आदि में संतुलन जरूरी है। संतुलित पर्यावरण में ही मानव स्वस्थ रहकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकता है। कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए मनुष्य पशु पक्षी, नदी, जंगल व पहाड़ का प्रेमी बने। सात लाख पौधरोपण का लक्ष्य : वन विभाग ने जिले में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए इस वर्ष छह लाख 76 हजार 600 पौधा लगाने का लक्ष्य रखा है जिसपर कार्य शुरू हो चुका है। वन विभाग का मानना है कि वन क्षेत्र बढ़ाने का कार्य सिर्फ व्यवस्था के भरोसे संभव नहीं है। इसके लिए लोगों को अपने भी पौधा लगाना होगा जिसमें वन विभाग की ओर से हर स्तर से सहयोग किया जा रहा है। लोग अपनी निजी जमीन पर भी पौधा लगाएं तो लक्ष्य में काफी सुधार हो सकता है। लेकिन हाल के दिन में हो रहे शहरीकरण व कंक्रीट के निर्माण के कारण कृषि जोत के साथ ही वन भूमि भी घटती जा रही है जो ¨चता का विषय बनता जा रहा है।