बाहर से आए लोगों को घर में भी शुकून नहीं
जागरण संवाददाता गोड्डा दूसरे प्रदेश से पैसे कमा कर लौटने वाले परदेसी बाबुओं की ठाठबाट अब वैसी नहीं रही। पहले ये परदेसी बाबू पूरे गांव के लिए खास होते थे। उनके जीवन जीने की कला और फैशन के युवा दीवाने थे लेकिन अब प्रवासी बाबुओं को कोरोना संक्रमण के कारण ग्रामीण शक की निगाह से देख रहे हैं। देश भर में हर दिन ऐसी खबरें आ रही है कि दूसरे प्रदेश से संक्रमित होकर गांव
जागरण संवाददाता, गोड्डा : दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले गोड्डा के लोग इन दिनों अपने ही इलाके में बेगाने को गए हैं। यह सब कोरोना का असर है। संक्रमण के भय से ग्रामीण उन्हें शक की निगाह से देख रहे हैं। देश भर में हर दिन ऐसी खबरें आ रही है कि दूसरे प्रदेश से संक्रमित होकर गांव आए किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से कई लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए गांवों के लोगों ने अब इन लोगों को बेगाना बना दिया है। बाहर से लौटे लोगों की पहचान कर ग्रामीण उन्हें 14 दिनों के क्वारंटाइन में रखने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। गांवों में उनका प्रवेश रोक दिया गया है।
सदर प्रखंड के अलावा सुंदरपहाड़ी, पोड़ैयाहाट और बसंतराय प्रखंड में ऐसे मामले सामने आए हैं। सदर प्रखंड के ककना गांव में तो लोगों ने देश व्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद गांव के प्रवेश स्थान पर बांस का अवरोधक लगा रखा है। बीते रविवार को मेहरमा, बसंतराय और हनवारा क्षेत्र में भी ऐसी घटनाएं सामने आई। बिहार बोर्डर पार कर आने वाले परदेसी बाबुओं को वहां के ग्रामीणों ने भी चिन्हित कर प्रशासन से जांच की मांग की। बीते सोमवार को पोडै़याहाट के लीलादह गांव में दिल्ली से लौटे करीब 80 दिहाड़ी मजदूरों के गांव पहुंचने पर लोगों में भय का माहौल समा गया। दिल्ली से सभी मजदूर एक कंटेनर में बैठकर लीलादह गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों ने इन सभी मजदूरों की जांच कराने के बाद उन्हें 14 दिनों के क्वारंटाइन में रखने की मांग स्थानीय प्रशासन से की, लेकिन प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि जांच में किसी में भी कोई प्रतिकूल लक्षण नहीं मिला है। लिहाजा सबको होम क्वारंटाइन में रहने का निर्देश देकर गांव भेज दिया गया। ग्रामीण संतोष, वेद प्रकाश, दीपक आदि ने बताया कि सरकार के निर्देशों का पोड़ैयाहाट में अनुपालन नहीं हो रहा है।
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लॉकडाउन के बाद सर्वाधित प्रवासी यात्रियों की आमद : जिला में बीते 24 मार्च से लेकर 30 मार्च तक करीब 3600 नए लोग दूसरे प्रदेशों से आए हैं। इनकी पहचान कर उन्हें होम क्वारंटाइन में रखा गया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। प्रशासन को इन परदेसी बाबुओं को चिकित्सीय देखरेख में सरकारी केंद्रों पर रखने की जरूरत है तभी संक्रमण का खतरा जड़ से समाप्त हो पाएगा। अभी बीते सोमवार को महागामा में एक युवती की कहानी सुन लोगों के होश उड़ गए। पहले उक्त युवती के बारे में बताया गया कि वह मुम्बई में एयर हॉस्टेज थी। बाद में युवती के परिजनों ने कहा कि वह एयर होस्टेस की पढ़ाई कर रही है। खौर, जो भी हो, दस दिन पूर्व वह मुम्बई से महागामा अपने घर आती है। प्रशासन पुलिस या स्वास्थ्य विभाग को इसकी कोई जानकारी नहीं दी जाता है। सोमवार की शाम को उसकी तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन के होश उड़ गए। युवती का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया। अब जांच रिपोर्ट का इंतजार है। ------------------------ जिले के सभी मुखिया को निर्देश दिया गया है कि दूसरे राज्यों से आने वाले सभी ग्रामीणों को 14 दिनों तक उन्हें उनके घरों में ही क्वारंटाइन में रखें। दूसरों के सम्पर्क में कतई ना आएं। यदि घर में अलग रहने की जगह नहीं है तो उन्हें पंचायत सचिवालय व स्कूल में बनाये गये क्वारंटाइन केंद्र में रखना है। वहां मिड डे मील की माता समिति के माध्यम से उनके भोजन की व्यवस्था करवाने का निर्देश दिया गया है। सारा खर्च आपदा प्रबंधन से बीडीओ को करना है। प्रतिदिन सहिया/एएनएम के माध्यम से स्वास्थ्य परीक्षण कर प्रपत्र- 6 में बीडीओ को रिपोर्ट भी देनी है।
- सुनील कुमार, डीसी गोड्डा।