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गोड्डा की सब्जियों से सेहतमंद हो रहे पड़ोसी राज्य

कोरोना की वजह से बेरोजगारी बढ़ी है। लोगों के पास आय के स्त्रोत कम हो गए हैं लेकिन गोड्डा के किसान मेहनत के बल सब्जियां उगाकर लोगों को सेहतमंद बना रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:00 AM (IST)
गोड्डा की सब्जियों से सेहतमंद हो रहे पड़ोसी राज्य
गोड्डा की सब्जियों से सेहतमंद हो रहे पड़ोसी राज्य

रविकांत, गोड्डा : कोरोना की वजह से बेरोजगारी बढ़ी है। लोगों के पास आय के स्त्रोत कम हो गए हैं। घर चलाना मुश्किल हो रहा है, लेकिन एक गांव ऐसा भी हैं जहां के किसान अपनी मेहनत के बल पर न सिर्फ अच्छी आय कर रहे हैं बल्कि उनकी मेहनत पड़ोस के कई राज्यों के लोगों का जायका तो बढ़ा ही रही है, लोगों को सेहतमंद भी बना रही है।

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गोड्डा सदर प्रखंड के निपनियां ग्राम के सात टोला में दर्जनों किसानों की ओर से बड़े पैमाने पर हरी सब्जियों की खेती की जाती है जिसे गोड्डा शहर के अलावा दुमका, देवघर, पाकुड़, साहिबगंज, बिहार के बांका व भागलपुर तथा पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिले की मंडियों में खपाई जाती है। यहां हरी सब्जियों की काफी डिमांड है। निपनियां में उत्पादित सब्जी झारखंड, बिहार व पश्चिम बंगाल के उपभोक्ताओं के घरों का जायका बढ़ा रही है। लॉकडाउन से पूर्व बिहार, पश्चिम बंगाल सहित नेपाल तक के व्यापारी यहां आकर सस्ते मूल्य पर खरीददारी करते थे। निपनियां गांव के सात टोले में करीब 500 एकड़ जमीन वहां के 400 किसान परिवार सब्जी उत्पादन करते हैं। पूरा गांव आत्मनिर्भर है।

निपनियां गांव के किसान भूदेव महतो, बासुदेव महतो, अरुण महतो आदि ने बताया कि लॉकडाउन के कारण कई व्यापारी सब्जी खरीदने गांव नहीं पहुंच पा रहे हैं। व्यापारियों की संख्या कम होने व सब्जी उत्पादन अधिक होने के कारण व्यापारी को औने-पौने दाम में सब्जी देना पड़ती है। यदि प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो किसानों को सब्जी की सही कीमत मिल सकती है। गांव में सब्जी भंडारण के लिए एक कोल्ड स्टोरेज की मांग भी काफी दिनों से की जा रही है। निपनियां ग्राम पंचायत प्रदेश में सब्जी उत्पादन का सबसे बड़ा हब बन सकता है। कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने से सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। इस वजह से किसान सीमित मात्रा में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। ग्राहक व्यापारियों की संख्या में कमी होने के कारण पर कम कीमत में सब्जियों को व्यापारियों को सौंप रहे हैं।

किसानों ने बताया कि वे लोग सीजन में दो बारसब्जी का उत्पादन करते हैं। उसी कमाई से सालों भर गुजारा करते हैं। मुख्य रूप से वर्ष में दो बार गांव में सब्जी का उत्पादन किया जाता है। सब्जी उत्पादन का सीजन समाप्त होने के बाद गांव के अधिकतर किसान बेरोजगार हो जाते हैं। यदि सरकार की ओर से मशरूम पालन व मधुमक्खी पालन आदि का प्रशिक्षण व व्यवसाय के लिए कच्चा माल मिल जाए तो ये लोग गांव में ही सालोंभर आय अर्जित कर सकते हैं।

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निपनियां गांव में सब्जी उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। यहां औसतन डेढ़ सौ क्विटल सब्जी का प्रतिदिन उत्पादन होता है। इस बार लॉकडाउन शुरु होने बाद किसानों में सब्जी बिक्री नहीं होने के भय से खेतों में कम सब्जी लगी है। यहां मौसमी सब्जियों में खीरा, करैला, झिगली, कद्दू, कौकरी, बोड़ा आदि का उत्पादन अधिक होता है। गांव में कोल्ड स्टोरेज की मांग काफी दिनों से की जा रही है।

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कोरोना काल में सब्जी व्यापारियों को परिवहन की छूट मिलनी चाहिए। सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।

- कृष्णकांत महतो, ग्राम प्रधान, निपनियां, गोड्डा।


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