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चुनाव पूर्व शस्त्र जमा आदेश मौलिक अधिकार का हनन: सर्वजीत

जासं गोड्डा चुनाव पूर्व शस्त्र जमा करने के प्रशासनिक आदेश को उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना बताते हुए लोकमंच के सचिव सह अधिवक्ता सर्वजीत झा अंतेवासी ने उपायुक्त को आवेदन सौंपा है। आवेदन में अंतेवासी ने अविभाजित बिहार में 1995 के पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीएल यादव एवं शशांक कु सिंह की खंडपीठ के फैसले का हवाला दिया है। लोकहित याचिका अमर प्रताप सिंह गैरह बनाम बिहार राज्य में दिए गए निर्देश में कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 06:38 AM (IST)
चुनाव पूर्व शस्त्र जमा आदेश मौलिक अधिकार का हनन: सर्वजीत
चुनाव पूर्व शस्त्र जमा आदेश मौलिक अधिकार का हनन: सर्वजीत

जासं, गोड्डा : चुनाव पूर्व शस्त्र जमा करने के प्रशासनिक आदेश को उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना बताते हुए लोकमंच के सचिव सह अधिवक्ता सर्वजीत झा अंतेवासी ने उपायुक्त को आवेदन सौंपा है। आवेदन में अंतेवासी ने अविभाजित बिहार में 1995 के पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीएल यादव एवं शशांक सिंह की खंडपीठ के फैसले का हवाला दिया है। लोकहित याचिका अमर प्रताप सिंह गैरह बनाम बिहार राज्य में दिए गए निर्देश में कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि चुनाव के दौरान लाइसेंसी हथियार जमा नहीं कराए जाएं। न्यायालय का मानना है कि चुनाव के समय आग्नेयास्त्र जमा करने का आदेश असंवैधानिक है। और इससे जीवन रक्षा के मौलिक अधिकार का हनन तो होता ही है, साथ ही शत्रुओं को जान-माल के नुकसान का विशेष अवसर प्रदान करता है। चुनाव के दौरान हत्याओं के कारणों में से एक कारण यह भी है। कहा कि शस्त्र अनुज्ञप्ति जब सक्षम पदाधिकारीयों द्वारा कठिन जांचोपरांत और चरित्र प्रमाणपत्र के आधार पर ही दी जाती है। तो फिर वैसे अनुज्ञप्तिधारी से शांति-भंग की कोई सम्भावना ही नहीं बनती है।

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कहा है कि 99 प्रतिशत आपराधिक मामलों में अपराधियों के पास थ्री नॉट थ्री बोर के कारतूस पाए जाते हैं। जिसकी सप्लाई सिर्फ पुलिस विभाग के लिए की जाती है। उन्होंने जिला प्रशासन से सवाल किया है कि चुनाव के समय सरकारी या न्यायिक पदाधिकारियों का नहीं बल्कि किसानों, व्यवसायियों व अन्य आम नागरिकों के सुरक्षा शस्त्र को जमा करवाना क्या विरोधाभासी फैसला नहीं है?


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