खेतों की नमी खत्म होने से खत्म हो रही किसानों की उम्मीद
जून माह खत्म हो चुका है लेकिन जिले में मानसूनी बारिश की रफ्तार जोर नहीं पड़ रही है। हल्की बारिश होने से बीते सप्ताह किसानों में आशा की किरण जगी थी लेकिन चार-पांच दिनों से बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
गोड्डा : जून माह खत्म हो चुका है लेकिन जिले में मानसूनी बारिश की रफ्तार जोर नहीं पड़ रही है। हल्की बारिश होने से बीते सप्ताह किसानों में आशा की किरण जगी थी लेकिन चार-पांच दिनों से बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। बारिश इतना नहीं हुई है कि किसान खेतों में बिचड़ा गिराकर उसे तैयार कर सकें। जून माह की समाप्ति पर अब तक जिले में दस फीसद बिचड़े भी खेतों में नहीं गिर सके हैं जिससे किसानों में मायूसी छाई हुई है। खरीफ की खेती का समय बीतता जा रहा है। बारिश नहीं होने से विभाग की चिता भी बढ़ गई है। खेती के लिए अब मात्र एक माह का समय बचा हुआ है। इस दौरान अगर अभी से बिचड़ा गिरता है तो उसे तैयार होने में 20-25 दिन लग जाएंगे। ऐसे में धनरोपनी कब होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। कमजोर मानसून के कारण कृषि कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है। एक सप्ताह से जिले में मूसलधार बारिश नहीं हुई है। विभागीय पूर्वानुमान में कहा गया था कि 28 जून के बाद संतालपरगना से मानसून का दस्तक राज्य में होगा लेकिन मानसून यहां बहुत कमजोर दिख रहा है। मौजूदा समय तक खरीफ की खेती के लिए किसानों को अपने खेतों में कम से कम बिचड़े तो डाल ही देने चाहिए थे लेकिन खेतों में नमी नहीं रहने के कारण किसान इसका जोखिम नहीं उठा रहे हैं। कृषि विभाग ने इस वर्ष जिले में 51 हजार हेक्टेयर भूमि पर धनरोपणी का लक्ष्य रखा है। जून माह तक औसत वर्षापात करीब 140 मिलीमीटर की होती है लेकिन जिले अब तक 40 मिमी वर्षापात ही रिकार्ड किया गया है, जो औसत से काफी कम है। लिहाजा इस वर्ष खरीफ की खेती पर अभी से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं।