मलेशिया में फंसे युवकों की सरकार ने नहीं ली सुध, एक सजा काट तो दूजा आर्थिक दंड देकर लाैटा वतन Giridih News
विकास महतो तीन माह की सजा जेल में काटने के बाद रिहा होकर अपने घर लौटा है। इधर लोकनाथ महतो जुर्माना की राशि जमा करने के बाद शनिवार को अपने घर लौट गया है।
गिरिडीह, जेएनएन। नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार होकर मलेशिया में फंसे गिरिडीह जिले के सरिया प्रखंड के दो प्रवासी मजदूर विकास कुमार महतो एवं लोकनाथ महतो की सकुशल वतन वापसी हो गई है। सरिया थाना अंतर्गत श्रीरामडीह निवासी विकास महतो वीजा की अवधि खत्म होने के कारण मलेशिया के जेल में बंद था जबकि सरिथा थाना अंतर्गत ही लुतियानो निवासी लोकनाथ महतो वीजा का जुर्मना नहीं दे पाने के कारण मलेशिया में नजरबंद था।
विकास महतो तीन माह की सजा जेल में काटने के बाद रिहा होकर अपने घर लौटा है। इधर लोकनाथ महतो जुर्माना की राशि जमा करने के बाद शनिवार को अपने घर लौट गया है। दोनों की रिहाई के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी सोशल मीडिया के जरिए केंद्र सरकार से अपील की थी। वैसे इन दोनों प्रवासी मजदूरों की रिहाई में न तो किसी सरकार का कोई योगदान रहा और न ही जनप्रतिनिधियों का। परिवारवालों ने कर्ज लेकर इनकी वापसी के लिए पैसे भेजे। दोनों के घर लौटते ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रवासी मजदूरों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली शनिवार की सुबह दोनों से उनके घरों पर जाकर मिले।
विकास महतो ने दैनिक जागरण को बताया कि तीन महीने जेल में सजा काटने के बाद दिल्ली में आर्मी के एक जवान जो उनके रिश्तेदार हैं ने टिकट व पैसे दूतावास भेजकर उन्हें वापस बुलाया। न कोई सरकार ने मदद की और न ही किसी नेता ने। वहीं लोकनाथ महतो ने बताया कि उनके घर वालों ने कर्ज में रुपये लेकर दिए। इसके बाद जुर्मना की राशि चुकाकर एवं टिकट कटाकर बहुत मुश्किल से वापस लौट सके हैं।
वीजा की अवधि समाप्त होने के कारण जेल में बंद था विकास महतो
विकास कुमार महतो इमिग्रेशन (आप्रवासन) कानून के उल्लंघन के आरोप में मलेशिया के जेल में बंद था। 29 अक्टूबर 2019 को जब बाजार के लिए बाहर निकला था तभी मलेशिया इमिग्रेशन के अधिकारियों ने वीजा खत्म होने के कारण उसे गिरफ्तार कर लिया था। परिजन रोज उसके लौटने का इंतजार कर रहे थे। विकास की पत्नी बसंती देवी ने बताया था कि धोखा देकर एजेंट द्वारा उन्हें टूरिस्ट वीजा पर मलेशिया ले जाया गया था। इसकी अवधि तीन महीने होती है। विकास के कम पढ़े-लिखे होने के कारण वर्किंग वीजा और टूरिस्ट वीजा का अंतर नहीं पता चला। दो साल पूर्व 15 फरवरी 2017 को रुपए कमाने के लिए मलेशिया गया था। विकास घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। पूरा परिवार उसके जेल में होने से परेशान है।
वीजा का जुर्माना नहीं दे पाने से नजरबंद था लोकनाथ महतो
लोकनाथ महतो करीब एक साल पूर्व मलेशिया रोजगार के लिए गया था। वह घर आने की कोशिश कर रहा था किंतु रुपया, पासपोर्ट और वीजा नहीं होने की वजह से वहां से वापस नहीं आ पा रहा था। वह कंस्ट्रक्शन लेबर एक्सचेंज सेंटर बरहेट नामक कंपनी में काम करता था। कंपनी के लोगों ने उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था। लोकनाथ ने बताया कि बगोदर थाना क्षेत्र के माहुरी के रहनेवाले उमेश महतो के माध्यम से दो जनवरी 2019 को वह मलेशिया आया था। तीन महीने तक काम करने के बाद वेतन नहीं मिलने पर उसने घर जाने की इच्छा जाहिर की तो कंपनी वाले लोगों ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। लोकनाथ को 35 हजार रुपए प्रतिमाह दिलाने का झांसा देकर विदेश ले जाया गया था। वहां मात्र 9 हजार रुपए भारतीय मुद्रा दिया जा रहा था। इसका उसने विरोध किया तो कंपनी वालों ने उसका पासपोर्ट व वीजा जब्त कर लिया। वह दूसरी जगह पहुंचकर छिपकर रह रहा था। लगभग 20 दिनों से मलेशिया एंबेसी (मलेशिया दूतावास) में वह बंद था। बाद में उसे दूतावास से भी बाहर निकाल दिया गया था।