गुरुजनों का उपदेश प्राणी के लिए कल्याणकारी: विशुद्ध सागर
संवाद सहयोगी पारसनाथ (गिरिडीह) गुरुजनों का उपदेश प्राणी के लिए कल्याणकारी होता है।
संवाद सहयोगी, पारसनाथ (गिरिडीह) : गुरुजनों का उपदेश प्राणी के लिए कल्याणकारी होता है। सच्चे गुरू संयम व तप करते हुए मौन व्रत का पालन करते हैं और जब बोलते हैं तो अहिसा, संयमाचरण का उपदेश देते हैं। जो पवित्र पथ की प्रेरणा करे, कल्याणकारी हो, हितकारी हो वही सच्ची गुरुवाणी होती है। यह बात आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कही। सोमवार को प्रवचन में गुरुवाणी के महत्व को बता रहे थे। साथ ही यह भी बता रहे थे कि कैसे गुरु के बताए मार्ग पर चलकर आत्मविकास किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि खुद के उत्कर्ष के लिए गुरूओं के पवित्र वचनों के अनुसार जीवन जीना पड़ेगा। सच्चा सुख वही है जो दुख न दे और न ही दुख का कारण बने। आनंद वही है जिसे प्राप्त करने व भोगने के बाद दुख न झेलना पड़े। उबलते दूध को शांत करने के लिए पानी के छींटे मारे जाते हैं। ठीक उसी तरह उफनते हुए अवगुण के वेग को गुरुवाणी से शांत किया जा सकता है। अगर शांति चाहिए तो गुरूओं की संगति करना शुरू कर दें। अपनी दिनचर्या को ठीक उसी तरह रखें जैसा आपको गुरू के उपदेश में बताया जाता हो। अपने भावों को संभालकर रखें जिससे कि आपका भविष्य संवर सके। कहा कि संतोष ही परम धरम है। संतोषी प्राणी को विपरीत परिस्थिति के आने पर भी आनंद आता है। आत्म शांति के लिए वीतरागी, निस्परिग्राही, निस्वार्थी, संयम साधक साधु की सन्निधि आवश्यक है।. धर्म वही श्रेष्ठ है जो अहिसा व सत्य से पूर्ण हो। उपदेश वही है जो सबके हित में हो। व्यापार वही है जिससे आर्थिक लाभ हो तथा साधना वही है जिससे कर्म का क्षय तथा आत्मोथान हो।