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इस गांव को पक्की सड़क भी नसीब नहीं

बगोदर प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र अडवारा पंचायत के राजस्व ग्राम अखैना आजादी के 73 साल व झारखंड अलग राज्य गाठन के 20 साल बाद भी विकास की रोना रो रहा है।आज तक इस गांव को जाने के लिए ग्रामीणों की पक्की सड़क भी नसीब नहीं हुआ है।कच्ची सड़क उबड खाबड़ कीचड़ में जाने के लिए मजबूर है।जिसके कारण लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती हैं।गांव में कुल

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 06:22 PM (IST)
इस गांव को पक्की सड़क भी नसीब नहीं
इस गांव को पक्की सड़क भी नसीब नहीं

(गिरिडीह) : बगोदर प्रखंड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है अडवारा पंचायत का राजस्व गांव अखैना। आजादी के 73 साल व झारखंड राज्य गठन के 20 साल बाद भी गांव में समस्याओं का अंबार लगा है। ग्रामीणों को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। गांव की वर्षो से किस कदर उपेक्षा होती रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक इस गांव तक जाने के लिए ग्रामीणों की पक्की सड़क नसीब नहीं हुई है। कच्ची सड़क उबड-खाबड़ व कीचड़मय है। इसी सड़क से ग्रामीण आवागमन करने को विवश हैं। इस कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है।

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दिखावे के लिए है बिजली :

गांव में कुल 80 परिवार हैं, जिनमें कुर्मी 40, भूमिहार 10 व आदिवासी 30 परिवार के लोग रहते हैं। गांव में बिजली तो पहुंची है, लेकिन हमेशा लो वोल्टेज रहता है, जिससे लोगों का कोई काम नहीं होता है। बिजली सिर्फ दिखावे की है। लोगों का कहना है कि बिजली की यह समस्या पिछले 15 दिनों से है। गांव में दो चापाकल हैं जिसमें एक खराब पड़ा है। इस कारण लोग एक ही चापाकल पर निर्भर हैं। दैनिक जागरण की टीम बुधवार को तुकतुको अखैना कच्चे रास्ते से होते हुए गांव पहुंची और अखैना छोलाबार रास्ते से निकली। गांव में प्रवेश करने के लिए दोनों ओर से कच्ची सड़क है। उस पर भी वाहन से चलना दूर, पैदल चलने में भी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

केवल वोट मांगने आते हैं नेता :

दोपहर 12 बजे चार-पांच लोग खेत से काम करके कटहल पेड़ के पास आपस में बातचीत कर रहे थे। इसी बीच एक 65 वर्षीय वृद्ध जानकी महतो ने गांव की गाथा बताई। कहा कि यहीं जन्म लिए और बूढ़े भी हो गए, लेकिन अभी तक रास्ता जैसे के तैसे है। नेता लोग तो वोट के समय आते हैं और जीतने के बाद इसे बना देने का वादा तो करते हैं, लेकिन वोट लेने के बाद कुछ नहीं करते हैं। वहीं खेत से काम करके आए ग्रामीण त्रिलोकी महतो ने बताया कि उनलोगों की सबसे बड़ी समस्या रास्ते की है। रास्ता उबड़ खाबड़ है, जिस कारण आने-जाने में काफी परेशानी होती है। अभी बारिश के समय पूरा रास्ता कीचड़मय हो जाता है। गांव में बिजली की समस्या 15 दिनों से है। बिजली रहती है लेकिन उसका वोल्टेज लो रहता है। इससे मोबाइल चार्ज भी नहीं होता है। बंधन महतो ने बताया कि गांव में रास्ता के साथ-साथ पेयजल की भी अहम समस्या है। चापाकल भी खराब पड़ा है जिस कारण बरसात के समय गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। कई बार मुखिया से चापाकल बनाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चमेली देवी ने कहा कि इस गांव में रास्ते की समस्या बहुत बड़ी है जिस कारण आने-जाने में काफी परेशानी होती है। निर्मल मुर्मू ने बताया कि वे क्या कर सकते हैं। कोई रास्ता बनानेवाला है ही नहीं। बताते चलें कि इस गांव के युवा भी महानगरों व टावर लाइन में काम करते हैं। लॉकडाउन होने के कारण सभी मजदूर घर आ गए हैं और खेती-बारी में लगे हैं। वहीं अभी भी गांव के कुछ लोग विदेश में काम कर रहे हैं।


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