संगीन आरोपों में जेल में बंद रामचरण दूसरों को दे रहा जीवनदान, जेलर-कैदी सब हुए मुरीद, जानिए
Jharkhand. चौकीदार की हत्या खुखरा पिकेट पर हमला विस्फोटक बरामदगी समेत कई संगीन मामलों में जेल में बंद रामचरण की आयुर्वेद पर गहरी पकड़ है।
गिरिडीह, [दिलीप सिन्हा]। सेंट्रल जेल गिरिडीह में एक विचाराधीन बंदी रामचरण राम बंद है। पीरटांड़ प्रखंड के पलमा गांव के रामचरण पर चौकीदार की हत्या समेत कई नक्सली कांडों को अंजाम देने का आरोप है। बावजूद रामचरण आज लोगों को जिंदगी दे रहा है। आयुर्वेद पर रामचरण की पकड़ ने उसे जेल में बंद कैदियों के बीमार होने पर इलाज को प्रेरित किया। उसके हाथ की दवाएं ऐसा काम करने लगीं कि कैदी ही नहीं जेल के कई अधिकारी भी अपने व परिजनों के बीमार होने पर उससे मशविरा लेते हैं।
जेल में बंद करीब 11 सौ बंदियों एवं जेल प्रशासन के बीच वह डॉक्टर साहब के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। वैसे उसने वैद्य की कोई डिग्री नहीं ली है। बचपन से ही अपने वैद्य पिता की संगत और बड़े-बड़े वैद्यों की सोहबत में रहकर यह ज्ञान पाया। गिरिडीह के खुखरा थाना की पुलिस ने 25 जनवरी 2018 को उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके आवास से हथियार व विस्फोटक बरामद होने का आरोप लगा था। वह जेल आया था, तब उसे एक नक्सली के रूप में अन्य बंदी देख रहे थे।
किडनी व कैंसर रोगियों का भ्ाी कर रहा इलाज
बहुत जल्द ही हर किसी के प्रति संवेदना का उसका भाव देख उसे सब सम्मान देने लगे। इस बीच उसने बीमार होने पर परामर्श दिए। उसकी सुझाई गई दवाएं रामबाण की तरह काम करने लगीं तो जेल में उसकी पहचान आयुर्वेदिक डॉक्टर की हो गई। उसके मरीज जेल के बंदी तो थे ही जेल अधिकारियों के रिश्तेदार भी उससे इलाज के लिए आने लगे। कई ऐसे रोगी भी उसके परामर्श पर आयुर्वेदिक दवाएं ले रहे हैं जो किडनी की खराबी व कैंसर जैसे असाध्य रोगों से ग्रस्त हैं। रामचरण के पिता स्व. ब्रह्मदेव राम, दादा स्व. लखराज राम भी वैद्य थे।
सिपाही की पत्नी हो गई स्वस्थ
जेल के एक आरक्षी की पत्नी को ब्रेन ट्यूमर था। पटना में इलाज के दौरान ऑपरेशन की सलाह दी गयी थी। तब उसने जेल में बंद रामचरण से परामर्श लिया। उसकी बताई दवाओं को सेवन करने से ऑपरेशन की नौबत नहीं आई और अब वह स्वस्थ है। एक पूर्व जेल अधीक्षक के बहनोई को किडनी संबंधी बीमारी थी। वे भी उसके परामर्श से दवाएं ले रहे हैं। अभी स्थित पहले से बेहतर है। महज सातवीं तक पढ़े रामचरण 1971 में पेटरवार में एक वैद्य के यहां पिता के सुझाव पर गए थे।
वहां दस साल रहकर जड़ी बूटियों से इलाज का ज्ञान लिया। फिर पटना के वैद्य प्रभुदेव आचार्य के यहां जाकर जानकारी ली। दिल्ली एवं राजस्थान के भी कई वैद्यों से आयुर्वेद के गुर सीखे। तभी भाई की मौत हो गई तो वापस गांव आ गए। यहां मरीजों का इलाज शुरू कर दिया। यह वह दौर था जब नक्सलवाद चरम पर था। उनका गांव भी नक्सल प्रभावित था। यहां से उनका रुख नक्सलवाद की ओर हो गया।
ये हैं आरोप
- माओवादियों ने चौकीदार नंदलाल तूरी की हत्या की थी। इस कांड में रामचरण के साथ-साथ उसके गांव के मांझो राम को पुलिस ने आरोपित किया था। इस मामले में गिरिडीह की अदालत ने दोनों को बरी कर दिया है।
- उसके आवास से विस्फोटक व हथियार बरामद होने का आरोप है।
- खुखरा पुलिस पिकेट पर नक्सली हमले में शामिल होने का भी मामला चल रहा है।
बच्चों की तालीम के प्रति रहा हमेशा सजग
रामचरण के दो बेटे और एक बेटी है। उनकी पढ़ाई के प्रति वह हमेशा गंभीर रहा। बचपन से ही उनको तालीम का महत्व समझाया। दोनों बेटे स्नातक हैं। बेटी की शादी उसने एक इंजीनियर से की है। जेल जाने के कारण बेटों की पढ़ाई बाधित हुई थी। जो बाद में पटरी पर आ गई। रामचरण की तमन्ना है कि बच्चे बड़े अधिकारी बनकर समाज की सेवा करें। वह खुद अंतिम दम तक गरीबों को इलाज करता रहे।
'रामचरण आयुर्वेदिक दवाओं से जेल में बंद मरीजों का इलाज करते हैं। जिन लोगों का उन्होंने इलाज किया है, उनको फायदा हुआ है। अभी तक किसी ने यह शिकायत नहीं की कि दवा से फायदा नहीं हुआ है।' -कोलेश्वर पासवान, जेलर।