झाविमो और माले फिर अलग, कोडरमा में भाजपा के खिलाफ नहीं बन सकेगा महागठबंधन
कांग्रेस एवं झामुमो ने लोकसभा चुनाव को लेकर आपस में समझौता कर लिया है। इस गठबंधन में राजद एवं झाविमो भी शामिल है। लेकिन कोडरमा में पूर्ण महागठबंधन का सपना तार-तार हो गया है।
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह: कांग्रेस एवं झामुमो ने लोकसभा चुनाव को लेकर आपस में समझौता कर लिया है। इस गठबंधन में राजद एवं झाविमो भी शामिल है। सूबे की 14 लोकसभा सीटों में से कोडरमा ऐसी सीट है, जहां भाजपा के विरोध में पूर्ण महागठबंधन तैयार करने का सपना तार-तार हो गया है।
महागठबंधन से जहां झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी इस सीट पर भाजपा को चुनौती देंगे, वहीं भाकपा माले से राजधनवार के विधायक राजकुमार यादव भाजपा के खिलाफ ताल ठोकेंगे। बाबूलाल के समर्थन में जहां कांग्रेस, झामुमो एवं राजद खड़ा रहेगा, वहीं राजकुमार के पक्ष में भाकपा, माकपा, मासस समेत तमाम वामपंथी पार्टियां खड़ी रहेंगी। ऐसे में भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव को रोकने की जो कोशिश लंबे समय से चल रही थी, वह बेकार जाएगी। झाविमो एवं माले दोनों के मैदान में रहने से लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी, जो निश्चित रूप से भाजपा को फायदा पहुंचाएगी।
कोडरमा का जो राजनीतिक समीकरण है, उसके अनुसार यहां बाबूलाल एवं माले दोनों का व्यापक जनाधार है। बाबूलाल इस सीट से भाजपा से और निर्दलीय भी चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने कोडरमा छोड़कर दुमका से चुनाव लड़ा था। कोडरमा से उन्होंने पूर्व भाजपा सांसद रीतलाल प्रसाद वर्मा के पुत्र को उतारा था, जो तीसरे नंबर पर चले गए थे। वहीं मोदी लहर में भी माले के राजकुमार यादव ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। वे दूसरे नंबर पर थे। इस बार बाबूलाल फिर से मैदान में हैं। वहीं पिछले चुनाव के प्रत्याशी रहे प्रणव वर्मा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बाबूलाल के मैदान में उतरने से झाविमो पूरी तरह से एकजुट होकर उन्हें जिताने की कोशिश करेगा। पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहनेवाली माले इस बार पूरे उत्साह से लबालब है।
माले को जीत का भरोसा: दूसरी ओर माले को कोडरमा सीट जीतने का पूरा भरोसा है। सबसे दुविधापूर्ण स्थिति में अल्पसंख्यक वोटर है। अल्पसंख्यक वोटर दोनों में से जिसके साथ जाएंगे वही भाजपा के लिए मुख्य चुनौती बनेगा।
यहां हम आपको बता दें कि कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें बगोदर, गांडेय, राजधनवार एवं जमुआ गिरिडीह जिले में है। गिरिडीह जिले की इन चारों विस क्षेत्रों में माले एवं झाविमो के बीच कांटे की लड़ाई है। स्थिति यह है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे को भाजपा की बी टीम बताती है। दोनों भाजपा से अधिक एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक है। वहीं कोडरमा जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्रों कोडरमा एवं बरक_ा में भाजपा काफी मजबूत है।
वामदलों को किनारे कर बना गठबंधन भाजपा को पहुंचाएगा लाभ: विनोद
भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य एवं बगोदर के पूर्व विधायक विनोद सिंह का कहना है कि कोडरमा में भाजपा हराओ का सीधा मतलब लोग माले जिताओ मानते हैं। जो भी इसके इतर जाएगा, वह भाजपा को मदद पहुंचाने का काम करेगा। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने यह बातें कहीं।
कहा कि वामपंथी पार्टियों एवं आंदोलनकारी ताकतों को दरकिनार कर बनाया गया कोई भी गठबंधन भाजपा को ही लाभ पहुंचाने का काम करेगा। कोडरमा में माले, हजारीबाग में भाकपा एवं धनबाद में मासस एक बड़ी ताकत है। इनके बिना भाजपा विरोधी गठबंधन कारगर नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि 13 फरवरी को रांची में वामदलों की संयुक्त बैठक होगी जिसमें वाम गठबंधन बनाने का निर्णय लिया जाएगा।