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हाजत में गई जान, कसूरवार कोई नहीं

दिलीप सिन्हा गिरिडीह मुफस्सिल थाने की हाजत में जसीम अंसारी ने आत्महत्या कर ली। बावजूद घट

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 12:14 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 06:37 AM (IST)
हाजत में गई जान, कसूरवार कोई नहीं
हाजत में गई जान, कसूरवार कोई नहीं

दिलीप सिन्हा, गिरिडीह : मुफस्सिल थाने की हाजत में जसीम अंसारी ने आत्महत्या कर ली। बावजूद घटना के 37 दिनों के बाद भी किसी भी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। और तो और यह भी तय नहीं हुआ है कि मामले में किसी की लापरवाही थी या नहीं। जबकि बड़ा सवाल है कि पुलिस कस्टडी में में एक बंदी ने आत्महत्या कैसे कर ली, थाने के अधिकारी एवं जवान क्या कर रहे थे, यदि वे सजग होते तो क्या वह आत्महत्या कर पाता। यह भी बता दें कि पूर्व में ऐसी ही एक घटना में सरिया थाना में दिल्ली के एंबुलेंस चालक मो. शकील ने आत्महत्या की थी। उस प्रकरण में तत्कालीन थानेदार विकास पासवान, ओडी ड्यूटी पर तैनात केसी सिंह व चौकीदार को तत्काल निलंबित किया गया था। बावजूद जसीम के मामले में कसूरवार की पहचान अब तक न हो पाई।

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बरवाडीह के गाजीनगर का रहने वाला मो. जसीम अंसारी ने पांच जुलाई को हाजत में फांसी लगाई थी। सुबह उसकी पत्नी का शव घर में ही लटकते मिला था। दहेज के लिए हत्या की शिकायत मायके वालों ने की थी। तब पुलिस उसे सुबह गिरफ्तार कर थाने लाई थी। शाम को उसने हाजत में फांसी लगा ली। एसडीपीओ जीतवाहन उरांव कहते हैं कि जांच में स्पष्ट हो चुका है कि जसीम ने आत्महत्या की थी। किसी की लापरवाही की बात सामने नहीं आई है। इधर आम जन सवाल उठा रहे है कि थाने में एक इंसान की जान जाए और लापरवाही से प्रशासन इन्कार करे यह बात हजम नहीं होती।

एंबुलेंस चालक की आत्महत्या में थानेदार व ओडी प्रभारी हुए थे निलंबित :

अब एक और मामले पर गौर फरमाएं। 21 फरवरी को दिल्ली के एंबुलेंस चालक मो. शकील ने सरिया थाना में पुलिस कस्टडी में आत्महत्या कर ली थी। इसमें थानेदार व ओडी प्रभारी का निलंबन हुआ था। शकील दिल्ली के किसी अस्पताल से शव लेकर कोलकाता के खिदिरपुर पहुंचाने गया था। उसके साथ सहयोगी चालक सरिया के बागोडीह गांव का सहदेव राम भी था। लौटने के क्रम में सहदेव ने कहा कि रात में अपने घर चलेंगे। सुबह दिल्ली के लिए निकलेंगे। दोनों बागोडीह गांव पहुंच गए। घर में शराब पी। इस बीच शकील रात में टहलने निकला। नशे की हालत में वह गांव के ही एक घर की छत में पेड़ के सहारे चढ़ गया। यह देख ग्रामीणों ने उसकी चोर समझकर पिटाई कर सरिया पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने सुबह 3 बजे उसे पकड़ा और थाने लाई। उसी दिन सुबह उसने थाने में फांसी लगा ली। उस मामले में बाकायदा जांच में तत्कालीन थाना प्रभारी विकास पासवान और ओडी ड्यूटी में तैनात एएसआइ केसी सिंह और एक चौकीदार को हुए सस्पेंड किया गया था। घटना की न्यायिक जांच के लिए सरिया अनुमंडल पदाधिकारी राम कुमार मंडल को नियुक्त किया गया था। उन्होंने रिपोर्ट में कहा था कि ग्रामीणों ने शकील को चोरी के प्रयास के आरोप में पकड़ सरिया थाने की पुलिस को दिया था। पुलिस ने लापरवाही की और एक कमरे में बंद कर दिया। ड्यूटी पर नियुक्त चौकीदार या ओडी अफसर सजग होता तो शायद यह घटना नहीं होती। मामले में मानवाधिकार आयोग ने भी जवाब मांगा था। आयोग को घटना से जुड़ी रिपोर्ट दी गई है।


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