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Congress Giri murder case: पिता-पुत्र समेत एक ही परिवार के आधा दर्जन को आजीवन कारावास Giridih News

हत्या की यह घटना देवरी प्रखंड मुख्यालय की है। 16 अगस्त 2011 की रात 10 बजे अपनी राशन दुकान से लौटते वक्त कांग्रेस गिरि पर घातक हथियार से हमला किया गया था।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 04:21 PM (IST)
Congress Giri murder case: पिता-पुत्र समेत एक ही परिवार के आधा दर्जन को आजीवन कारावास Giridih News
Congress Giri murder case: पिता-पुत्र समेत एक ही परिवार के आधा दर्जन को आजीवन कारावास Giridih News

गिरिडीह, जेएनएन। देवरी के कांग्रेस गिरि की हत्या करने वाले पिता-पुत्र समेत एक ही परिवार के आधा दर्जन लोगों को जिला जज चार ध्रुव नारायण मिश्रा की अदालत ने सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। सजा पाने वालों में बलदेव गिरि, उसका पुत्र इंद्रदेव गिरि, भाई रामदेव गिरि तथा तीन चचेरे भाई गौतम गिरि, वासुदेव गिरि और सुधीर गिरि शामिल हैं।

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अदालत ने दोपहर करीब दो बजे यह सजा सुनाई है। सजा सुनाने के बाद सभी हत्यारों को वापस सेंट्रल जेल भेज दिया गया। फैसला सुनने के लिए अदालत में देवरी से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। अदालत ने 11 सितंबर को ही सभी को दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था। इसके पूर्व सभी न्यायालय से जमानत पाकर बाहर थे। सजा की बिंदु पर सुनवाई के लिए सभी छह हत्यारों को कड़ी सुरक्षा के बीच सेंट्रल जेल से आज अदालत लाया गया था। बचाव पक्ष ने जहां कम से कम सजा देने की अपील की वहीं अभियोजन पक्ष ने अधिक से अधिक सजा देने की मांग की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

हत्या की यह घटना देवरी प्रखंड मुख्यालय की है। 16 अगस्त 2011 की रात 1o बजे अपनी राशन दुकान से लौटते वक्त कांग्रेस गिरि पर घातक हथियार से हमला किया गया था। इससे वे जख्मी हो गए थे। उनकी मौत इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में हो गई थी।  इस कांड के सूचक महेंद्र गिरि ने देवरी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा था कि रोज की तरह उसके पिता रात 1o बजे अपनी राशन दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। उनके हाथ मे एक प्लास्टिक का झोला था जिसमें दुकान की बिक्री के 15 हज़ार रुपये थे। इस बीच रास्ते में गांव के ही गौतम गिरि रुपये का बैग छीनकर भागने लगा। साथ ही बचाओ-बचाओ कहकर हल्ला करने लगा। हल्ला पर सभी अभियुक्त जमा हो गए और लाठी और टांगी से हमला कर उसके पिता को जख्मी कर दिया। जब हल्ला पर वह बचाने गया तो उस पर भी हमला किया गया। जख्मी अवस्था में वह अपने पिता को देवरी स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां से चिकित्सकों ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सदर अस्पताल ले जाने के दौरान उनकी मौत हो गई।

चश्मदीद की गवाही बना सजा का आधार : इस मामले में अभियोजन की तरफ से 10 गवाहों का परीक्षण कराया गया। इनमें चश्मदीद सह जख्मी जो इस कांड का सूचक भी था, उसकी गवाही अहम रही। न्यायालय में अपने केस को सही साबित करने में उसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी गवाही में उसने कहा था कि सभी घेरकर उसके पिता को घातक हथियार से मारने लगे जिससे वे लहूलुहान हो गए। जब वह बचाने गया तो उस पर भी हमला हुआ था। वहीं अन्य गवाहों ने भी घटना का समर्थन किया। इस मामले में मृतक के शव का पोस्टमार्टम करनेवाले चिकित्सक ने भी अपनी गवाही में कहा था कि मृतक के शरीर पर कई जख्म थे। कई फ्रेक्चर भी थे। अत्यधिक रक्तस्राव होने से हार्ट फेल हो गया था। इसी आधार पर न्यायालय ने सभी को दोषी ठहराया।


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