सादगी से मना सरहुल, सुख-समृद्धि की कामना
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण घोषित लॉक डाउन का अनुसरण करते हुए निमियाघाट स्थित पुत्रीगढ में सादगी से सरहुल पूजा मनाई गई। मरांग बुरु सांवता विकाश समिति निमियाघाट द्वारा आयोजित पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पाहन (पुजारी) चेड़गा सोरेन के सानिध्य में सखुआ वृक्ष की प्रकृति पूजा की गई। इस दौरान प्राकृतिक देवता से पुजारी ने कामना करते हुए गांव की समृद्धि और खुशहाली एवं अच्छी वर्षा की कामना की गई एवं कोरोना वायरस से बचाव
निमियाघाट : पुत्रीगढ़ में लॉकडाउन को ले सादगी से सरहुल पूजा मनाई गई। मरांग बुरु सांवता विकास समिति निमियाघाट की ओर से इसका आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पाहन (पुजारी) चेड़गा सोरेन के सान्निध्य में सखुआ वृक्ष की पूजा की गई। पुजारी ने गांव की समृद्धि और खुशहाली एवं अच्छी वर्षा की कामना की। कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी प्रार्थना की।
नहीं निकली शोभायात्रा
बताया गया कि करीब 50 साल के इतिहास में यहां पहली बार सरहुल की शोभायात्रा नहीं निकाली गई। इसे लेकर आदिवासी संगठन निर्णय ले चुके थे। मंगलवार को कहीं पर भी कोई सामूहिक कार्यक्रम भी नहीं हुआ और न ही कहीं पर सामूहिक नृत्य एवं संगीत का आयोजन किया गया।
आदिवासी समाज का सबसे बड़ा पर्व :
सरहुल आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। चूंकि यह पर्व रबी की फसल कटने के साथ ही आरंभ होता है, इसलिए इसे नए वर्ष के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व में साल व सखुआ वृक्ष की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। साथ ही यह भविष्यवाणी की जाती है कि इस साल बारिश की स्थिति कैसी रहेगी। मौके पर बजल हेम्ब्रम, छोटू मुर्मू, मीणा मांझी, वीरेंद्र मरांडी आदि उपस्थित थे।