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गुरुजी के गढ़ में सालखन कर रहे सेंधमारी

-सरना धर्म कोड एवं संताली लिपि ओल चिकी को लेकर आदिवासियों को कर रहे गोलबंद -पारसनाथ म

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:04 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:17 AM (IST)
गुरुजी के गढ़ में सालखन कर रहे सेंधमारी
गुरुजी के गढ़ में सालखन कर रहे सेंधमारी

-सरना धर्म कोड एवं संताली लिपि ओल चिकी को लेकर आदिवासियों को कर रहे गोलबंद

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-पारसनाथ में मुख्यमंत्री का जला रहे पुतला, अब शिबू की तैयारी दिलीप सिन्हा, गिरिडीह : आदिवासी सेंगेल अभियान (एएसए) के केंद्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के गढ़ पारसनाथ में सेंधमारी कर रहे हैं। सेंधमारी में वे किस हद तक सफल हो रहे हैं, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जहां शिबू कभी समानांतर सरकार चलाते थे वहां आज उनके पुत्र एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला जलाया जा रहा है। हेमंत का पुतला कोई भाजपा समर्थक नहीं जला रहे हैं। बल्कि इस क्षेत्र के आदिवासी जला रहे हैं। सरना धर्म कोड एवं संताली लिपि ओल चिकी को झारखंड में राजभाषा का दर्जा देने के सवाल को लेकर सालखन आदिवासी के बीच हेमंत को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने इसी पारसनाथ पहाड़ से आदिवासियों को गोलबंद कर अपना राजनीतिक सफर 70 के दशक में शुरू किया था। यहीं से उन्हें दिशोम गुरु की उपाधि मिली थी। पारसनाथ के आदिवासियों के बीच आज भी शिबू सोरेन दिशोम गुरु ही हैं, लेकिन इसी पारसनाथ के आदिवासी आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हेमंत के खिलाफ यहां के आदिवासियों को मुखर बना रहे हैं सालखन मुर्मू। कभी उड़ीसा से भाजपा के सांसद रहे सालखन मुर्मू आदिवासी सेंगेल अभियान(एएसए) के बैनर तले पारसनाथ के आदिवासियों को गोलबंद कर शिबू सोरेन के गढ़ में सेंधमारी कर रहे हैं। अपनी पांच सूत्री मांगों सरना धर्म कोड लागू करने, ओल चिकी को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने, झारखंडी डोमिसाइल बनाने, शहीद सिदो मुर्मू एवं बिरसा मुंडा के वंशजों के लिए दो ट्रस्ट का गठन करने एवं असम व अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान पांच राज्यों झारखंड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं असम में चल रहा है। इस आंदोलन के जरिए सालखन जहां आदिवासियों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन पर सत्ता मिलने के बाद आदिवासियों के मुद्दों को पीछे छोड़ने का आरोप लगा रहे हैं।

पारसनाथ के आदिवासी बहुल गांवों में सेंगेल अभियान के तहत जगह-जगह हेमंत सोरेन का पुतला जलाया रहा है। इस इलाके के आदिवासियों को शिबू एवं हेमंत के खिलाफ खड़ा करना कोई साधारण बात नहीं है। यह एक बदलाव का संकेत हो सकता है। सेंगेल अभियान पारसनाथ से जुड़े निरंजन मुर्मू ने बताया कि हेमंत सोरेन का पुतला जलाने का आदिवासी समाज के लोग विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि आदिवासी हितों के सवाल पर पुतला जलाया जा रहा है। निरंजन का कहना है कि ओल चिकी लिपि का विरोध झामुमो के सांसद विजय हांसदा, विधायक नलिन सोरेन एवं दिनेश विलियम मरांडी कर रहे हैं। इस कारण, हेमंत के साथ-साथ इन सभी का पुतला जलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो गुरुजी अर्थात शिबू सोरेन का भी पुतला अगले माह से जलाया जाएगा।

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शिबू-हेमंत चाहते तो सरना धर्म कोड लागू हो गया होता : सालखन आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने बताया कि शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के हित में काम नहीं किया है। आदिवासियों के वोट के बल पर वे राज जरूर करते हैं, लेकिन आदिवासियों के मूल मुद्दों पर कभी कुछ नहीं करते हैं। शिबू एवं हेमंत चाहते तो सरना धर्म कोड कब का लागू हो गया होता। ओल चिकी बहुत पहले हिदी के साथ झारखंड की पहली राजभाषा बन गई होती। आदिवासी समुदाय अब लड़कर अपना हक हासिल करेगा। सरकार ने यदि आदिवासियों के साथ इंसाफ नहीं किया तो पांच राज्यों में वृहत आंदोलन चलाया जाएगा।

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अपनी जमीन छोड़ आदिवासियों को बहका रहे सालखन : सुदिव्य गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा है कि सालखन मुर्मू उड़ीसा के हैं। उड़ीसा में सरना धर्म कोड लागू नहीं करा पाए। अपनी जमीन छोड़ वे यहां के भोले-भाले आदिवासियों को सरना धर्म कोड के नाम पर बहकाने की साजिश कर रहे हैं। बहुत जल्द वे बेनकाब हो जाएंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद सरना हैं। सरना धर्म कोड के लिए सरकार गंभीर है। बहुत जल्द इसे कैबिनेट में पारित कर दिया जाएगा। शिबू सोरेन एवं हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए क्या किया है, इसके लिए सालखन मुर्मू के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। झारखंड का एक-एक आदिवासी यह जानता है।


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