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राशि निकाल नहीं बनाया स्कूल भवन, होगा केस

सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले के सरकारी स्कूलों में होने वाले भवन निर्माण कार्य को लेकर शिक्षकों और समिति के पदाधिकारियों का रवैया उदासीन रहा है। यही वजह है कि वर्षों बीत जाने के बाद भी यहां सैकड़ों विद्यालयों में भवन निर्माण कार्य लंबित है। कहीं काम ही शुरू नहीं किया गया है तो कहीं कार्य प्रारंभ करने के बाद आधा-अधूरा छोड़ दिया गया है। इस मद में सरकार के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ है। इस मामले को उपायुक्त ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने अविलंब कार्य पूर्ण कराने एवं दोषी

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 09:00 AM (IST)
राशि निकाल नहीं बनाया स्कूल भवन, होगा केस
राशि निकाल नहीं बनाया स्कूल भवन, होगा केस

गिरिडीह : सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले के सरकारी स्कूलों में होने वाले भवन निर्माण कार्य को लेकर शिक्षकों और समिति के पदाधिकारियों का रवैया उदासीन रहा है। यही वजह है कि वर्षों बीत जाने के बाद भी यहां सैकड़ों विद्यालयों में भवन निर्माण कार्य लंबित है। कहीं काम ही शुरू नहीं किया गया है तो कहीं कार्य प्रारंभ करने के बाद आधा-अधूरा छोड़ दिया गया है। इस मद में सरकार के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग हुआ है। इस मामले को उपायुक्त ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने अविलंब कार्य पूर्ण कराने एवं दोषी लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है।

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वर्ष 2006-07 से 2012-13 तक कुल 565 एसीआर (अतिरिक्त वर्ग कक्ष) का निर्माण कराने का लक्ष्य था। इसे लेकर संबंधित स्कूलों को लक्ष्य के अनुरूप राशि भी उपलब्ध कराई गई, लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण होने की स्थिति काफी चिताजनक है। आज की तारीख में 158 एसीआर का ही निर्माण पूर्ण हो सका है, जबकि 99 एसीआर का कार्य भी प्रारंभ नहीं किया जा सका है, वहीं 308 एसीआर का निर्माण विभिन्न स्तर पर लंबित है।

एक एसीआर की लागत 3.64 लाख : प्रति एसीआर की लागत 3.64 लाख रुपये है, जिसमें प्रथम किस्त में 2.73 लाख रुपये स्कूलों को दिए गए हैं, जबकि कार्य पूर्ण होने के बाद द्वितीय किस्त में शेष 91 हजार रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। प्रथम किस्त की राशि मुहैया कराने के बावजूद 407 एसीआर ऐसे हैं, जिनका निर्माण ही प्रारंभ नहीं हुआ है या फिर कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। इन स्कूलों को प्रथम किस्त की राशि के रूप में कुल 11 करोड़ 11 लाख 11 हजार रुपये दिए गए हैं, जो व्यर्थ साबित हो रहे हैं।

ये हैं कारण : भवन निर्माण पूर्ण या प्रारंभ नहीं होने के कई कारण है, जिनमें सबसे अहम कारण है समिति के अध्यक्ष-सचिव की लापरवाही। इसके अलावा जमीन विवाद, जमीन की कमी आदि कारणों से भी कार्य में बाधा उत्पन्न हुई है।

दर्ज होगी प्राथमिकी : भवन निर्माण नहीं कराने के मामले में कई स्कूलों के अध्यक्ष-सचिव पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है, जिनमें उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय रवानी टोला कुदर, चंदली, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बदडीहा, राजा नगर चिरूवा उर्दू आदि शामिल हैं। इसके अलावा पैसे की निकासी कर भवन निर्माण नहीं कराने के मामले में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय लोहासिघानी के सचिव जेल भी जा चुके हैं। इसके अलावा यूपीजीएमएस चटनीमहुआ कोनी, श्रीरामपुर पटना और उत्क्रमित मध्य विद्यालय महेशलिट्टी के सचिव की मौत हो चुकी है।

मिशन मोड में होगा काम : लंबित उक्त सभी एसीआर का निर्माण शीघ्र पूर्ण कराने के लिए मिशन मोड में काम किया जाएगा। कार्य लंबित रहने के कारण राज्य से दूसरी किस्त की राशि नहीं भेजी गई है। इसके लिए भी राज्य को पत्र लिखा जाएगा।


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