अभियान : संतुष्टि नहीं, सुरक्षा के लिए पहनें हेलमेट
गिरिडीह : सड़क हादसा कभी भी और किसी के भी साथ हो सकता है। होनी को तो टाला नहीं जा
गिरिडीह : सड़क हादसा कभी भी और किसी के भी साथ हो सकता है। होनी को तो टाला नहीं जा सकता है, लेकिन सावधानी बरत कर लोग अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना भी जरूरी है। लोग बाइक चलाते समय नियमित रूप से हेलमेट का उपयोग करें, इसके लिए प्रशासन की ओर से जागरूकता और जांच अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। हेलमेट का उपयोग करने वालों की संख्या बढ़ने लगी है, लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो अपनी सुरक्षा के बजाय पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई से बचने और आत्मसंतुष्टि के लिए हेलमेट पहनते हैं, जबकि जरूरत है संतुष्टि नहीं सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनने की। और जब बात सुरक्षा की आती है तो हेलमेट की गुणवत्ता देखना जरूरी होता है। लोग पैसे बचाने के चक्कर में गुणवत्ता को ताक पर रख हेलमेट का क्रय करते हैं, जो गलत है।
आइएसआइ मार्का वाले हेलमेट का उपयोग जरूरी है : हेलमेट का उपयोग हमेशा आइएसआइ मार्का और अच्छी गुणवत्ता का करना चाहिए। ऐसे हेलमेट की कीमत दूसरे चालू हेलमेट से काफी अधिक होती है, लेकिन यह सुरक्षा भी कई गुणा अधिक प्रदान करता है।
क्या है आइएसआइ मार्का : सरकार से निबंधित कंपनियों के हेलमेट में ही आइएसआइ का मार्क लगा रहता है। ऐसे हेलमेट अधिक मजबूत और टिकाऊ होते हैं। हेलमेट दुकान संचालक रेहान ने बताया कि आइएसआइ मार्का वाले हेलमेट में एक्सिडेंटल फार्म डाला जाता है, जिससे इसकी मजबूती और गुणवत्ता काफी गुणा अधिक बढ़ जाती है। ऐसे हेलमेट गिरने से नहीं टूटते हैं। दुर्घटना होने की स्थिति में ये अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। बाजार में आइएसआइ मार्का वाले हेलमेट 700-4000 रुपये कीमत के उपलब्ध हैं, जबकि साधारण हेलमेट 300-700 रुपये में मिल जाते हैं।
सीट बेल्ट का करें उपयोग : कर सहित अन्य चार पहिया वाहनों में सफर करते समय सीट बेल्ट का उपयोग जरूरी हो जाता है। यह बेल्ट सफर कर रहे व्यक्ति या चालक को सीट से बांधे रखता है। इससे अचानक ब्रेक लगने पर झटका नहीं लगता है। साथ ही दुर्घटना होने पर स्टिय¨रग और डेस्क बोर्ड से टकराने से रोकता है।
खतरनाक है बच्चों को फ्रंट सीट पर बैठाना : कार सहित अन्य वाहनों में बच्चों को कभी भी फ्रंट सीट पर नहीं बैठाना चाहिए। बच्चे नासमझ होते हैं। वे तरह-तरह की हरकत करते रहते हैँ, जिससे बच्चों के आगे बैठने पर चालक ध्यान भंग होता है। ऐसी स्थिति में दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है।