खदान से नहीं हटाई मिट्टी, एनडीआरएफ को बैरंग लौटाया
खोरीमहुआ (गिरिडीह) : धनवार के करगाली स्थित अवैध पत्थर खदान में चाल धंसने के मामले में लीपा
खोरीमहुआ (गिरिडीह) : धनवार के करगाली स्थित अवैध पत्थर खदान में चाल धंसने के मामले में लीपापोती कर दी गई है। खदान में भरी मात्रा में गिरी मिट्टी को न तो हटाया गया और न ही यह जानने का प्रयास किया गया कि मिट्टी के नीचे कोई मजदूर दबा तो नहीं है। और तो और राहत और बचाव कार्य के लिए पटना से आई एनडीआरएफ की टीम को ऑपरेशन शुरू किए बिना वापस लौटा दिया गया। इस बीच खदान संचालकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराकर प्रशासन ने अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री कर ली है। इस पूरे घटनाक्रम में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। इसी के साथ प्रशासनिक और संबंधित विभाग के पदाधिकारियों पर भी अंगुली उठने लगी है।
क्या थी घटना : बता दें कि उक्त खदान में शनिवार शाम चाल धंसने की घटना हुई थी। चाल धंसने से भारी मात्रा में मिट्टी खदान में गिरी थी। इससे दो मजदूर घायल हो गए थे, जिन्हें इलाज के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया था। साथ ही मिट्टी में कई मजदूरों के दबने और मौत होने की बात कही जा रही थी। घटना स्थल पहुंचे सीओ शशिकांत ¨सकर और थाना प्रभारी सुरेंद्र ¨सह ने कहा था कि अभी रात में राहत बचाव कार्य करने में परेशानी हो रही है। रविवार को मिट्टी हटाने के बाद पता चलेगा कि इस घटना में कोई हताहत हुआ है या नहीं।
एनडीआरएफ टीम को शुरू नहीं करने दिया राहत बचाव कार्य :
घटना के बाद पटना से एनडीआरएफ की 40 सदस्यीय टीम को राहत बचाव कार्य के लिए बुलाया गया था, लेकिन रविवार को राहत बचाव कार्य नहीं हुआ। टीम को ऑपरेशन शुरू किए बिना वापस भेज दिया गया। इसी के साथ खदान में गिरी मिट्टी को भी नहीं हटाया जा सका है। टीम के सदस्यों ने बताया कि स्थानीय पदाधिकारियों के कहने पर वे लोग वापस जा रहे हैं।
पदाधिकारियों के बदल गए सुर :
घटना के समय कई मजदूरों के मिट्टी में दबने की आशंका व्यक्त की जा रही थी। पदाधिकारियों ने भी इस बात से इंकार नहीं किया था, लेकिन दूसरे ही दिन पदाधिकारियों के सुर बदल गए।
खदान कर्मियों एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों का कहना है कि शनिवार देर शाम को कुल 14 मजदूर खदान में ड्रिल का कार्य कर रहे थे। घटना के बाद 12 मजदूरों को स्थानीय प्रशासन की पहल पर खदान से देर रात को ही सकुशल बाहर निकाल लिया गया। इस घटना में दो मजदूर घायल हुए हैं, जिनका इलाज कोडरमा में कराया जा रहा है। बताया कि इस घटना में कुछ ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन जानमाल की कोई क्षति नहीं हुई है। अगर घटना में किसी की मौत होती तो उसका परिवार शिकायत लेकर जरूर पहुंचते, लेकिन घटना के दूसरे दिन दोपहर तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।
क्या कहते हैं मजदूर : मजदूरों ने बताया कि संतोष ¨सह, महेश ¨सह, लक्ष्मण ¨सह, भोला ¨सह, गोपी मोदी, रामशरण ¨सह, रामचंद्र रजक, एनुल अंसारी, कपिल ठाकुर, भोला यादव, जैनुल अंसारी, महेंद्र यादव तथा वीरेन्द्र रजक एक साथ काम करने खदान में उतरे थे। घटना में जेनुल अंसारी एवं महेंद्र यादव को छोड़कर सभी सुरक्षित हैं। इन दोनों को बांह में हल्की चोट लगी है। दोनों का खदान मालिक की देखरेख में कोडरमा में इलाज कराया जा रहा है।
खदान संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज :
सहायक जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार ने अवैध ढंग से पत्थर खनन करने का नामजद आरोपी बनाते हुए कोडरमा के नवलशाही निवासी बासुदेव मोदी तथा करगाली खुर्द के बिनोद प्रसाद बर्णवाल पर धनवार थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। आवेदन में उन्होंने कहा कि बासुदेव मोदी एवं बिनोद प्रसाद बर्णवाल के नाम से मौजा करगली के प्लाट संख्या 29 तथा 57 अंश एवं रकवा 1 एकड़ 60 डिसमिल क्षेत्र पर 25 दिसंबर 10 से 24 दिसंबर 20 तक खनन पट्टा निर्गत है। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सीटीई, सीटीओ एवं खनिज परिवहन चालान प्राप्त करने के बाद ही खनन कार्य करने का आदेश दिया गया था, लेकिन पट्टाधारी आदेश न लेकर अवैध ढंग से खनन कर रहे थे। ग्रामीणों ने जताई नाराजगी :
एनडीआरएफ की टीम को बिना कार्रवाई के वापस लौटा देने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर की है। ग्रामीणों का कहना है कि पदाधिकारी भी इस घटना में खानापूर्ति कर रहे हैं। यही वजह है कि घटना स्थल तक पहुंचे बिना पदाधिकारियों ने खुद निर्णय ले लिया कि इस हादसे में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है। पदाधिकारियों ने राहत बचाव कार्य क्यों नहीं करने दिया, यह अहम सवाल है। कहीं इसमें पदाधिकारियों का कोई स्वार्थ तो नहीं। लोगों का कहना है कि मिट्टी में मजदूर दबे हो सकते हैं। खदान संचालक, कर्मी और पदाधिकारियों के दावे में कितनी सच्चाई है यह मिट्टी हटने के बाद ही पता चलेगा। मामले को रफादफा कर देते हैं धंधेबाज : लोगों का कहना कि इस तरह का अवैध धंधा करने वाले धंधेबाज ऐसा कोई हादसा होने पर ले-देकर मामले को रफादफा कर देते हैं। यहां तक कि घटना में मरने वाले मजदूरों के परिवारों को डरा-धमका या पैसे का प्रलोभन देकर उन्हें पुलिस प्रशासन से शिकायत करने नहीं देते हैं। हो सकता है इस मामले में भी ऐसा ही हुआ हो, इसलिए पदाधिकारी मजदूरों के हताहत होने जैसी शिकायत नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। ऐसी स्थिति सच्चाई जानने के लिए खदान में गिरी मिट्टी को हटाना जरूरी था।
पदाधिकारी के बयान पर सवाल : बता दें कि घटना के बाद जिला सहायक खनन पदाधिकारी ने उक्त खदान के वैध होने की बात कही थी, लेकिन दूसरे दिन अवैध बताते हुए संचालकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। ऐसे में उनके बयान पर भी सवाल उठ रहा है।