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जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है तो भगवान लेते हैं अवतार

संवाद सहयोगी, धनवार (गिरिडीह): धर्म-शास्त्रों में एक बात कही गई है कि जब-जब धरती पर पाप

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:51 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:51 PM (IST)
जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है तो भगवान लेते हैं अवतार
जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है तो भगवान लेते हैं अवतार

संवाद सहयोगी, धनवार (गिरिडीह): धर्म-शास्त्रों में एक बात कही गई है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में जन्म लेते हैं और पापों से विश्व को मुक्त कराते हैं। द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लेकर धरती को कंस से मुक्ति दिलाई थी। यह बातें पंडित श्रीराम नारायण आचार्य ने प्रवचन के दौरान कही।

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वे धनवार के गणेश मंडप में आयोजित श्री श्री 108 श्री भागवत महायज्ञ के चौथे दिन रविवार रात कृष्ण जन्म की कथा सुना रहे थे। कहा कि ¨हदू धर्म में जन्माष्टमी को पर्व के तौर पर मनाया जाता है। स्कंद पुराण के मतानुसार जो भी जानकर व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नहीं करता है, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में 28वें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें व हर हाल में उपवास करें। विष्णु धर्म के अनुसार आधी रात के समय रोहिणी में जब कृष्णाष्टमी हो तो उसमें कृष्ण का अर्चन और पूजन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है।

मौके पर पंडित पवन कुमार द्विवेदी, अवध किशोर पाठक, यजमान अनूप संथालिया, दिनेश कुमार संथालिया, ब्रजकिशोर पाठक, विजय कुमार संथालिया, सुधीर अग्रवाल, नंदकिशोर साव, पप्पू साव, अर¨वद कुमार, मनोज संथालिया आदि थे।


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