जनप्रतिनिधियों ने गांव के विकास की उम्मीद पर फेरा पानी
धनवार प्रखंड के केंदुआ-नावागढ़ चट्टी मुख्य मार्ग पर नावागढ़ कुशवाहा मुहल्ले के पास रास्ते की हालत अत्यंत खराब हो गई है।
खोरीमहुआ (गिरिडीह) : धनवार प्रखंड के केंदुआ-नावागढ़ चट्टी मुख्य मार्ग पर नावागढ़ कुशवाहा मुहल्ले के पास रास्ते की हालत अत्यंत खराब हो गई है। हालांकि पीसीसी पथ बना हुआ है पर पानी के निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से सड़क पर हमेशा जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। इससे हमेशा बदबू निकलता रहता है और यह मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी अन्य कई प्रकार की बीमारियों के पनपने का डर बना रहता है। इतना ही नहीं नाली नहीं होने के कारण तेज बारिश के दौरान कई घरों में भी बरसात का पानी घुस जाता है जिससे ग्रामीण परेशान रहते हैं। बदलते दिनों के साथ लोगों का रहन-सहन भी बदल रहा है। पिछले कुछ वर्षो में ही यहां के घरों में चापाकल और बोरिग का आंकड़ा भी बढ़ा है। आनेवाले दिनों में भी बोरिग की तादाद में वृद्धि होगी जिससे लोग विकल्प नहीं होने के कारण घरों का पानी बीच रास्ते में ही बहाने को विवश होंगे और फिलहाल इसे बहाया भी जा रहा है। इससे रास्ता हमेशा कीचड़मय बना रहता है। इससे कभी कभार पड़ोसियों के बीच छोटे-मोटे विवाद भी होते रहते हैं। इस बार बरसात की स्थिति बहुत अच्छी रही है जिस कारण से यह समस्या यहां के ग्रामीणों के लिए और भी गंभीर बनी हुई है। नावागढ़ चट्टी चौक दर्जनाधिक गांवों के लिए व्यवसायिक केंद्र है तथा यहां पर गुरुवार को साप्ताहिक हाट भी लगती है। ऐसे में मारूडीह, झुमरी, गोरहंद, राजोडीह, कटहराटांड़, पांडेयडीह, बेनुसारन, झलबाद, जोलहाबाद सहित अन्य गांवों के लोगों को रास्ते से आवागमन में काफी फजीहत उठानी पड़ती है। इतना ही नहीं यहां के ग्रामीणों को भी हर समय इस समस्या से दो चार होना पड़ता है। दो बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से यहां के लोगों में हर बार यह उम्मीद बंध चली थी कि नए प्रतिनिधित्वकर्ता के आने से ग्रामीणों को सड़क पर जलजमाव की समस्या से निजात मिल जाएगी, परंतु अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। हर बार चुनाव से पहले तमाम तरह की समस्याओं पर चर्चा होती है। जन प्रतिनिधि हर बार इसे दूर करने की भी बात का प्रचार-प्रसार बहुत जोर शोर से करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद पंचायत के जनप्रतिनिधियों का गांव की इस समस्या की ओर कोई ध्यान ही नहीं जाता है। अब भी विकास की दौड़ में नालियों की उम्मीद लिए यहां के लोग नए उम्मीदवार की चाह में आशा भरी निगाहों से मूकदर्शक बन सिर्फ वोटर बने हुए हैं और गांव अपने विकास के लिए तरस रहा है। नवंबर में पंचायत के वर्तमान जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने को है। कोरोना संकट के कारण अगले छह माह तक चुनाव के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में यहां के ग्रामीणों को फिर से एक बार अगले चुनाव में एक सशक्त जनप्रतिनिधि का इंतजार है जो इस समस्या का समाधान कर सके। इस बीच नवंबर में पंचायत के प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की डोर फिर से एक बार अधिकारियों के हाथों में होगी। जब तक अगला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव न हो जाए, तब तक वार्ड और ग्राम स्तर पर विकास योजनाओं का चयन, क्रियान्वयन और मॉनिटरिग का कार्य अधिकारियों के जिम्मे होगा। अब ऐसे में यहां के लोगों को नालियों के कारण हो रही परेशानी से क्या मुक्ति मिल पाती है यह सोचनेवाली बात होगी। इस बीच क्या गांव का कायाकल्प हो पाएगा ये आनेवाला समय ही बताएगा। बताते चलें कि कई दशक पूर्व गांव में नाली निर्माण योजना आई हुई थी पर नालियों का जैसे-तैसे निर्माण कर दिया गया था। कहीं बना था तो कहीं बना ही नहीं था। इस योजना का कार्य पूर्णतया धरातल पर नहीं हो सका था और लोगों को उसका लाभ भी नहीं मिल सका था। बताया जाता है इस अधूरे निर्माण के पीछे कई सारे कारण थे।
इस संबंध में नवयुवक मनोहर वर्मा ने बताया कि ग्रामीण इस संकट से वर्षो से जूझ रहे हैं परंतु अब तक इसे दूर करने के लिए नाली का निर्माण नहीं हो पाना यहां के लोगों के बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जितनी जल्दी हो सके इस समस्या का निराकरण किया जाना चाहिए ताकि लोगों को इससे मुक्ति मिल सके।
-नितिन वर्मा ने इस समस्या के पीछे स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा करने का आरोप लगाकर कहा कि नावागढ़ के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने का खमियाजा उठाना पड़ रहा है। इससे ग्रामीण सहित क्षेत्र के लोगों को इस दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
-दिनेश प्रसाद वर्मा ने कहा कि नाली नहीं होने के कारण हमारे घरों में पानी घुस जाता है। आए दिन इससे घरेलू सामान बर्बाद हो जाते हैं। उम्मीद है कि समय पर इस समस्या से निजात मिल जाए। अंकित वर्मा, विकास वर्मा, अमन वर्मा, बबलू राय, रोहित, सदानंद, शुभम, सहित कई ग्रामीणों ने जल्द से जल्द नाली निर्माण करने की मांग की है।