आयुष्मान भव: से दूर रह गया गरीब, मौत
गांव में एक गरीब खाट पर जिंदगी से जंग हार गया लेकिन मुखिया उसे आयुष्मान भव का आशीर्वाद नह
गांव में एक गरीब खाट पर जिंदगी से जंग हार गया, लेकिन मुखिया उसे आयुष्मान भव: का आशीर्वाद नहीं दे सके। नतीजा, यह हुआ कि इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। मामला तिसरी प्रखंड अंतर्गत खपोटक का है।
बताया जाता है कि छोटन हेम्ब्रम दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता था। एक साल पूर्व अचानक तबीयत खराब हो गई। स्थानीय डॉक्टर से उसका इलाज कराया गया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद जमुआ व गिरिडीह में भी उसका इलाज कराया गया। इलाज में काफी पैसा खर्च हो गया। इलाज के बाद पैसे के अभाव में वह दवा नहीं खरीद सका, जिससे धीरे-धीरे उसकी तबीयत और अधिक खराब हो गई। एक-दो माह से उसने पूरी तरह बिस्तर पकड़ लिया था। मृतक की पत्नी मंझली हांसदा ने बताया कि माली हालत काफी खराब है। पति का इलाज के लिए पैसे की व्यवस्था नहीं हो सकी। इस बीच अचानक मंगलवार को पति की मौत हो गई।
मृतक के दो पुत्र और दो पुत्री हैं। उसकी मौत से पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। मंझली ने बताया कि पहले इलाज में दस हजार कर्ज हो गया था। पति घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य थे, जब वह बीमार पड़ गए तो घर का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया। राशन का पीला कार्ड है, जिससे चावल मिलता था। उससे भोजन बनता था। आयुष्मान भारत कार्ड की जानकारी नहीं है। यह कैसे व कौन बनाकर देता है। इसके बारे में उन लोगों को किसी ने कुछ नहीं बताया है।
इधर, मुखिया मीणा देवी ने बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने व वितरण करने में उनकी कोई भी भूमिका नहीं है। यह उनकी जिम्मेवारी नहीं है। यह जिम्मेवारी आंगनबाड़ी केंद्र के कर्मी व सहिया को मिली थी। उन्हें छोटन की मौत की खबर भी किसी ने नहीं दी है।