जिस व्यवस्था से लड़ते रहे, आज उसी की शरण में माओवादी
अंजनी सिन्हा गिरिडीह कभी जंगलों और गांवों में दहशत ही इनकी पहचान थी। ठेकेदारों स
अंजनी सिन्हा, गिरिडीह: कभी जंगलों और गांवों में दहशत ही इनकी पहचान थी। ठेकेदारों से लेवी के रूप में मोटी राशि वसूलते थे। सरकार के खिलाफ युद्ध लड़ने का दावा करते थे। इनमें से कई के खिलाफ सरकार ने इनाम भी घोषित कर रखा था, लेकिन जेल जाते ही इनकी स्थिति ही पलट गए।
जो माओवादी कभी व्यवस्था के खिलाफ लड़ते रहे, आज वे उसी की शरण में पहुंच न्याय की गुहार लगा रहे हैं। आज ये खुद मुकदमा लड़ पाने की भी स्थिति में नहीं हैं। सरकार के रहमोकरम पर ये माओवादी आश्रित हैं। हम बात कर रहे हैं वामपंथी विधायक महेंद्र ¨सह हत्याकांड में गिरिडीह सेंट्रल जेल में बंद रमेश मंडल, भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर नवीन मांझी, नागेश्वर महतो एवं नेमचंद महतो की। सभी दुर्दात माओवादी रह चुके हैं। इनकी स्थिति ऐसी हो गयी है कि ये अपना मुकदमा भी अपने या अपने परिवार के खर्च पर नहीं लड़ पा रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने ही इन्हें वकील उपलब्ध कराई है। सरकार के खर्चे पर अब वे अपना मुकदमा लड़ रहे हैं। गिरिडीह सेंट्रल जेल के इन माओवादियों समेत करीब सौ से अधिक विचाराधीन बंदियों को मुकदमा लड़ने के लिए सरकार ने वकील उपलब्ध कराई है।
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकार इन्हें निश्शुल्क विधिक सहायता दे रही है, जिनमें अधिवक्ता भी शामिल हैं। जिला विधिक सहायता कमेटी की बैठक में वैसे बंदियों और सहायता पाने योग्य व्यक्ति को निश्शुल्क वकील देने का निर्णय लेती है। कमेटी के चैयरमेन सह डालसा के सचिव के अलावा सीजेएम अनिल कुमार और जीपी जयंत कुमार इस कमेटी के सदस्य हैं।
सिविल वादों में 50 हजार रुपये से अधिक बांटी गई कोर्ट फी: डालसा आपराधिक मुकदमे में बंदियों को वकील उपलब्ध कराता है। उन वकीलों को फीस भी देता है। वहीं सिविल वादों में भी निश्शुल्क न्याय पाने का अधिकार है। डालसा सिविल वादों में निश्शुल्क वकील के साथ स्टाप फी भी देता है। इस साल सिविल के पांच मुकदमों में 50 ह•ार से अधिक रुपए की कोर्ट फी बांटी गई है। इनमें प्रकाश दास और सुगिया देवी को 26 ह•ार नौ सौ एक रुपए, मनोज कुमार चौरसिया को दो सौ 50 रुपए, सरजू प्रसाद को 38 ह•ार आठ सौ 80 रुपए, मो.असलम को 11 ह•ार आठ सौ 80 रुपए और नूतन कुमारी को सात हजार एक सौ 50 रुपए का कोर्ट फी उपलब्ध कराया गया है।
.. ताकि न्याय से कोई वंचित नहीं रहे: इस संबंध में गिरिडीह के डालसा सचिव मनोरंजन सिंह ने कहा कि डालसा बंदियों के साथ निश्शुल्क न्याय पाने की पात्रता रखनेवालों को यह लाभ दे रहा है। कोई भी बंदी चाहे वह किसी भी मामले में बंद हो, अपने खर्च पर अपने मुकदमे की पैरवी करने में असमर्थ हो वह लाभ पाने का अधिकारी है। चाहे वह हत्या, नक्सली, दुष्कर्म या किसी भी तरह का मुकदमा हो, निश्शुल्क लाभ पाने का अधिकारी है।