झारखंड के गिरिडीह में भूख से मौत की जांच शुरू, आक्रामक हुआ विपक्ष
झारखंड में भूख से सावित्री देवी की मौत के बाद विपक्षी दलों ने सरकार और जिला प्रशासन पर तीखा प्रहार किया है।
जेएनएन, गिरिडीह। झारखंड के गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड में भूख से सावित्री देवी की मौत के बाद विपक्षी दलों ने सरकार और जिला प्रशासन पर तीखा प्रहार किया है। दोषी पदाधिकारियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है। वहीं, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि उन्हें दुख है कि बहन सावित्री की मौत हो गई। जिला प्रशासन मामले की जांच कर रिपोर्ट दे।
सोमवार को अपर समाहर्ता अशोक कुमार साह सहित अनुमंडल का पूरा प्रशासनिक अमला मृतका के घर पहुंचा। पदाधिकारियों ने पीड़ित परिवार से घटना की पूरी जानकारी ली। पूरे घर का मुआयना कर परिवार की आर्थिक स्थिति व उपलब्ध संसाधन से अवगत हुए। इस बीच, परिजनों और रिश्तेदारों ने भूख से जंग की दास्तां सुनाई। जांच के बाद बाद अपर समाहर्ता ने मीडिया के सामने चुप्पी साध ली। घटना के बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि अखबार पढ़कर घटना की सच्चाई जानने आए हैं। वह सरकार के नुमाइंदा हैं, जो भी रिपोर्ट है उसे सरकार को सौपेंगे।
उधर, खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर सावित्री देवी के शव का पोस्टमार्टम कराए बिना रविवार देर रात बड़े पुत्र हीरालाल महतो ने ढोबगढ्डा श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार कर दिया। मृतका के पुत्र को मुखिया रामप्रसाद महतो ने शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
परिजनों को दो हजार रुपये की मदद
मृतका के परिजनों को प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी की ओर से दो बोरा चावल एवं दो हजार रुपये नकद दिया गया। साथ ही, गांव के दोनों डीलरों को एक-एक बोरा चावल देने का निर्देश दिया गया। उधर जांच के क्रम में पदाधिकारियों ने इलाहाबाद बैंक की चैनपुर शाखा में मृतका के खाते में जमा राशि का स्टेटमेंट निकाला, जिसमें पता चला कि उसके खाते में 2375 रुपये जमा हैं।
सरकार पर हमला
डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो और राजधनवार के विधायक राजकुमार यादव ने भूख से हुई मौत पर सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सदन में इसका जवाब मांगा जाएगा। झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह गांडेय के पूर्व विधायक लक्ष्मण स्वर्णकार ने कहा कि रघुवर दास को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
बना होता राशन कार्ड तो नहीं होती सावित्री की भूख से मौत
सावित्री देवी की मौत का जायजा लेने पहुंची जागरण की टीम ने गांव पहुंच कर जब मामले की पड़ताल की तो देखा कि सावित्री के घर में पिछले तीन दिनों से चूल्हा नहीं जला था। खाली बर्तन इधर-उधर बिखरे पड़े थे। बहुएं अगल-बगल के घरों से उधार में चावल लाकर अपने छोटे बच्चों का किसी तरह पेट पाल रही थीं। परिजनों ने टीम को बताया कि सावित्री देवी ने चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया था। तंत्र एक अदद राशन कार्ड तक मुहैया नहीं करा सका।
घोर गरीबी में जकड़ी सावित्री राशन कार्ड के अभाव में सरकार से मिलने वाले अनाज से भी वंचित रही। स्थानीय मुखिया राम प्रसाद महतो ने बताया कि सावित्री का राशन कार्ड बनाने के लिए चार माह पूर्व ही ऑनलाइन आवेदन किया गया था, लेकिन इसे सत्यापित कर आगे नहीं बढ़ाया गया, जिस कारण उसका राशन कार्ड नहीं बन पाया। अगर उसे राशन कार्ड मिला होता तो भूख से उसकी मौत नहीं होती।
भूख से मौत को परिभाषित करने वाली गाइडलाइन दो महीने में
मौत की वजह भूख है अथवा बीमारी, इसे परिभाषित करने के लिए बनी समिति डेढ़ से दो महीने के अंदर इससे संबंधित गाइडलाइन सरकार के हवाले कर देगी। समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा मनोनीत खाद्य सुरक्षा आयुक्त के सलाहकार बलराम ने यह संभावना जताई है। भूख से होने वाली मौत को परिभाषित करने के क्रम में यह देखा जाएगा कि मृतक के परिवार का सामाजिक स्तर क्या है, उसे राशन कार्ड, पेंशन आदि का लाभ मिल रहा है या नहीं।