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बैल बेचकर लिया पीएम आवास, अब मजदूरी के लिए काट रहा चक्कर

गिरिडीह 15 अगस्त को पूरा देश जब आजादी का जश्न मना रहा होगा तब गिरिडीह में पीएम आवास

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:00 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:00 PM (IST)
बैल बेचकर लिया पीएम आवास, अब मजदूरी के लिए काट रहा चक्कर
बैल बेचकर लिया पीएम आवास, अब मजदूरी के लिए काट रहा चक्कर

गिरिडीह : 15 अगस्त को पूरा देश जब आजादी का जश्न मना रहा होगा, तब गिरिडीह में पीएम आवास का एक लाभुक स्वतंत्रता दिवस का विरोध करते हुए आमरण-अनशन पर बैठा होगा। व्यवस्था से त्रस्त होकर उसने ऐसा कदम उठाने का निर्णय लिया है। दरअसल, मुखिया पति को रिश्वत नहीं देने के कारण राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मामला बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत कर्णपुरा पंचायत के खंडोली गांव का है। लाभुक मो. जब्बार ने उपायुक्त को आवेदन देकर पूरे मामले से अवगत कराते हुए मजदूरी भुगतान कराने की गुहार लगाई है। आवेदन में कहा है कि उसके नाम से पीएम आवास स्वीकृत हुआ था। इसकी स्वीकृति दिलाने के लिए मुखिया पति पांचू मियां ने उससे 11 हजार रुपये लिए थे। उसने बैल बेचकर उसे यह पैसा दिया था। मुखिया और पंचायत सचिव के दबाव के कारण उसने महाजन से कर्ज लेकर पीएम आवास का निर्माण पूर्ण करा लिया, लेकिन मनरेगा से मजदूरी मद की राशि 15 हजार रुपये का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। भुगतान के लिए उसने पंचायत सचिवालय से प्रखंड कार्यालय तक का कई बार चक्कर लगाया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। 31 दिसंबर 2018 उसने इसकी लिखित शिकायत बीडीओ से की। तब बीपीओ ने मजदूरी भुगतान करने का आश्वासन देकर उसे भेज दिया, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। आठ मई 2020 को उसने उपायुक्त को आवेदन देकर भुगतान कराने की मांग की। इसके बाद भी पहल नहीं की गई है।

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पैदा कर दी तकनीकी अड़चन :

कहा है कि मुखिया पति ने मजदूरी भुगतान कराने के लिए पांच हजार रुपये की मांग की। नहीं देने पर उन्होंने कंप्यूटर ऑपरेटर से मिलकर उसके कोड को दूसरी पंचायत में डायवर्ट कराकर तकनीकी गड़बड़ी पैदा कर मजदूरी भुगतान पर रोक लगा दी है। लाभुक ने कहा है कि 12 अगस्त तक यदि मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ तो 13 अगस्त को एसडीओ कार्यालय के समक्ष धरना देंगे। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो 15 अगस्त को देश की आजादी का बहिष्कार करते हुए आमरण-अनशन शुरू करेगा। इधर, मुखिया पति पांचू मियां ने कहा कि पैसा लेने और पुन: मांगने का आरोप गलत है। उन्होंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण कोड दूसरी पंचायत में चल जाने के चलते भुगतान नहीं हो पाया है। उन्होंने भुगतान कराने के लिए काफी प्रयास किया। योजना 2016 की थी, जिस कारण उसे बंद कर दिया गया है, इसलिए भुगतान नहीं हो पा रहा है। भुगतान नहीं होने के कारण लाभुक गलत आरोप लगाकर उन्हें बदनाम कर रहा है।


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