पारसनाथ में जैनतीर्थ यात्री की मौत
संस पीरटांड़ विश्वप्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल पारसनाथ पर्वत की वंदना के क्रम में सोमवार की सुबह करीब 11 बजे तीर्थयात्री भंवर लाल एच मेहता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 67 वर्षीय मेहता पुणे के मुंडारा के रहने वाले थे। वे अपनी पत्नी बेटे समेत पुणे के दो सौ तीर्थयात्रियों के दल के साथ रविवार को मधुबन पहुंचे थे। सो
पीरटांड़ (गिरिडीह) : विश्वप्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल पारसनाथ पर्वत पर फिर एक तीर्थ यात्री की जान चली गई। सोमवार की दोपहर ग्यारह बजे पर्वत वंदना के क्रम में महाराष्ट्र पुणे मुंडारा के रहनेवाले भंवर लाल एच मेहता(67) का दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद उनकी मौत हो गई। वे अपनी पत्नी, बेटों और पुणे के दो सौ अन्य तीर्थ यात्रियों के साथ रविवार को मधुबन पहुंचे थे। सोमवार की सुबह करीब तीन बजे सभी पारसनाथ पर्वत की वंदना को निकले थे। जिसमें मेहता भी शामिल थे। चौपड़ा कुंड के समीप पहुंचने के क्रम में उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें पहाड़ से नीचे लाने की कोशिश की जा ही रही थी कि उन्होंने दम तोड़ दिया। हालांकि, अगर पहाड़ पर ही उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती तो शायद उनकी जान बच सकती थी। पहाड़ से शव नीचे उतारने में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
डोली मजदूरों ने मांगें 22 हजार:डोली मजदूरों ने शव को नीचे लाने के लिए 22 हजार रुपये की मांग की। प्रशासन ने एंबुलेंस को पहाड़ पर ले जाने की अनुमति नहीं दी। बाद में 12 हजार रुपये लेकर दोपहर करीब एक बजे शव को डोली मजदूरों ने नीचे उतारा।
एक साल के अंदर 11 यात्रियों ने गंवाई जान: पारसनाथ पर्वत में जैन यात्रियों की मौत होने का यह कोई नया मामला नहीं है। अमूमन हर माह यहां यात्रियों की मौत होती है। गत एक माह में तीन एवं एक साल में 11 यात्रियों की मौत हो चुकी है। पहाड़ पर वाहनों का जाना वर्जित पारसनाथ पहाड़ पर जंगली जानवर रहते हैं। यह वन्य प्राणी आश्रय क्षेत्र है। इस कारण वाहनों का पहाड़ पर जाना वर्जित है। पारसनाथ पहाड़ पर लगभग दो साल पूर्व सड़क मार्ग की भी व्यवस्था हो चुकी है। पहाड़ पर हेलीकॉप्टर भी उतारा जा चुका है, लेकिन फिलहाल वाहनों का आना-जाना बंद है। यात्रियों को बाइक चालक सस्ते दर पर पर्वत वंदना कराते थे। इसे लेकर माओवादियों ने कई बार पोस्टरिग की थी और कई बार मारपीट की घटना भी हुई थी। इस कारण अब पहाड़ पर बाइक का परिचालन भी बंद है।