नियुक्ति पत्र नहीं मिला तो मौत को लगा लिया गले
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: शहर के अंबेदकर चौक के समीप मेन रोड स्थित प्रतिष्ठित टारको
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: शहर के अंबेदकर चौक के समीप मेन रोड स्थित प्रतिष्ठित टारको प्रतिष्ठान के मालिक संजय राम कंधवे के 29 वर्षीय पुत्र सुमित कुमार कंधवे का शव बुधवार की सुबह बंद कमरे में फंदे से लटकता मिला। परिजनों का कहना है कि मानसिक अवसाद से ग्रस्त सुमित ने नियुक्ति पत्र नहीं मिलने के कारण मौत को गले लगा लिया।
बताया जाता है कि एसएससी की फाइनल परीक्षा पास करने के बाद सुमित इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन साल भर बाद भी नियुक्ति पत्र नहीं मिलने से वह आहत था। घटना की सूचना नगर थाना को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने बंद कमरे को खोल शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
कुछ दिनों से गुमशुम रहता था सुमित: परिजनों ने पुलिस को बताया कि वह कुछ दिनों से काफी गुमशुम रह रहा था। बुधवार की सुबह देर तक सोकर नहीं उठने पर लोगों ने जब कमरे के अंदर झांक कर देखा तो उसका शव पंखे से लटकता पाया। इसके बाद चीख-पुकार मच गई।
माथे में डाल लिया था तकिया का खोल: सुमित का शव देख ऐसा लग रहा था कि अगर उसने आत्महत्या की तो वह यह मान चुका था कि उसके पास कोई विकल्प ही नहीं बचा था। सिर में तकिया का खोल डाल लिया था और पर्दे को रस्सी बनाकर इहलीला समाप्त कर ली।
अंदर ही अंदर घुट रहा था छात्र: परिचित बताते हैं कि सुमित कुछ दिनों से काफी गंभीर था। मंगलवार की शाम वह बाजार में अपने दोस्तों से भी मिला, लेकिन किसी को अपने इरादे की भनक नहीं लगने दी। परिजनों का कहना है कि व्यवस्था की लापरवाही से वह अंदर ही अंदर घुट रहा था।
विधायक समेत अन्य पहुंचे आवास: बुधवार सुबह सुमित की मौत की खबर शहर में आग की तरह फैल गई। अंबेदकर चौक के समीप स्थित टारको बिल्डिंग के पास लोगों की भीड़ लग गई। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी के अलावा अन्य लोग भी सुमित के आवास पहुंचे। विधायक ने परिजनों को सांत्वना दी। पोस्टमार्टम होने तक सदर अस्पताल में रुके रहे।
दिल्ली में रहकर की थी तैयारी: सुमित मेधावी छात्र था। दिल्ली में रहकर उसने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की थी। 2017 में कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में शामिल हुआ और उसी वर्ष अगस्त माह में जब परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो उसे सफलता हाथ लगी।
दोस्तों की हो चुकी थी पदस्थापना: परिजन बताते हैं कि सुमित सफलता के बाद नौकरी के लिए काफी उत्साहित रहने लगा था। उसे चेन्नई में ज्वाइन करने के लिए शीघ्र ही नियुक्ति पत्र देने की बात बताई गई थी। इधर चार माह पहले उसके कुछ दोस्तों को ज्वाइ¨नग लेटर मिल गया, लेकिन उसकी ज्वाइ¨नग नहीं हुई। इसके बाद धीरे-धीरे वह अवसाद में घिरने लगा।