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पारसनाथ में नियमों को ठेंगा दिखा फिर बाइक से कराई जा रही यात्रा

संवाद सहयोगी पारसनाथ 24 में से 20 तीर्थकरों की निर्वाणस्थली पारसनाथ पर्वत की चोटी तक पहुंच

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 03:53 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 03:53 AM (IST)
पारसनाथ में नियमों को ठेंगा दिखा फिर बाइक से कराई जा रही यात्रा
पारसनाथ में नियमों को ठेंगा दिखा फिर बाइक से कराई जा रही यात्रा

संवाद सहयोगी, पारसनाथ: 24 में से 20 तीर्थकरों की निर्वाणस्थली पारसनाथ पर्वत की चोटी तक पहुंचने या पर्वत वंदना करने के लिए 27 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। पैदल चलने में असमर्थ व्यक्तियों के लिए यहां डोली उपलब्ध है। डोली से पर्वत वंदना वे पूरी करते हैं तथा इसके एवज में डोली मजदूरों को मजदूरी देते हैं। इस क्रम में इन मजदूरों को रोजगार मिल जाता है। बीते कुछ माह से सैकड़ों की संख्या में बाइकवालों ने गैरकानूनी तरीके से तीर्थयात्रियों को पहाड़ पर जाना शुरू कर दिया है। इससे न केवल डोलीवालों का रोजगार प्रभावित हो रहा है बल्कि वन्य प्राणी आश्रयणी के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है। यही नहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देशानुसार दोपहिया वाहन से यात्रा कराना प्रतिबंधित है पर इन दिनों इस निर्देश को ताक पर रखकर धड़ल्ले से यात्रा कराई जा रही है।

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बताया जाता है कि पारसनाथ पर्वत पर धड़ल्ले से बाइक से तीर्थयात्रियों को यात्रा कराई जा रही है। भारी संख्या में बाइकवालों को यात्रियों को लेकर पर्वत स्थित डाकबंगला की ओर तथा डाकबंगला से मधुबन की ओर आते जाते देखा जा सकता है। सभी बाइकवाले समूह में विभिन्न संस्थाओं में घूमते हैं तथा तीर्थयात्रियों से बात कर पर्वत की यात्रा कराते हैं। कुछ बाइकवाले तो यात्रियों को बैठाकर पैदल वंदना मार्ग में बाइक चलाने लगते हैं, जिससे पैदल चल रहे तीर्थयात्रियों व डोलीवालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बाइक से यात्रा कराने पर डोलीवालों के साथ पैदल मार्ग में लगाई दुकानों के संचालकों का व्यवसाय भी प्रभावित होता है क्योंकि बाइक से तुरंत पर्वत पर यात्री चढ़ जाते हैं और ऐसे में कोई यात्री दुकान तक पहुंचता ही नहीं है।

कभी भी हो सकता है हादसा: पहाड़ पर बाइक चलाना काफी कठिन है। वहीं दो-तीन तीर्थयात्रियों को एक ही बाइक पर बैठाकर केवल पैसे के लालच में यात्रा कराना काफी खतरनाक है। सीधी चढ़ाई व ढलान में संतुलन बिगड़ने की काफी संभावना होती है। ऐसे में अगर किसी भी बाइक का संतुलन बिगड़ा तो उसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं।

बाइकवालों पर क्यों नहीं लगाम लगा पा रही है पुलिस: पर्वत की तलहटी पर ही एक बोर्ड लगा है, जिसपर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि झारखंड सरकार के निर्देशानुसार 10 अगस्त 2018 से पारसनाथ पर्वत पर यात्रियों को दोपहिया वाहन से यात्रा कराना प्रतिबंध है। नियम का उल्लंधन करनेवाले दोपहिया वाहन मालिक चालक के विरुद्ध विधिसंगत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इधर मधुबन पुलिस ने वाहन मार्ग व पैदल मार्ग पर बैरियर लगाया गया था पर इसे तोड़ दिया गया और धड़ल्ले से बाइक चालक यात्रा करा रहे हैं। मधुबन थाना प्रभारी रावतु होनहाग ने बताया कि बाइक से यात्रा कराना प्रतिबंधित है। ऐसा करनेवाले पर कार्रवाई भी की जा रही है। कौन जा सकता है बाइक से: कोई भी प्रकृतिप्रेमी या भक्त खुद बाइक चलाकर पर्वत पर जा सकता है। शारीरिक रूप से लाचार व बीमार या फिर आपातकाल में भी कोई किसी को बाइक पर बैठाकर यात्रा करा सकता है। इसके लिए प्रक्रिया के तहत थाने से अनुमति लेनी होगी तथा यात्रा का उद्देश्य बताना होगा। हां, अगर कोई व्यवसाय के तौर पर यात्री को बाइक पर बैठाकर चोरी छिपे यात्रा कराता है तो वह गलत है।


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