भूख से मौत में जांच रिपोर्ट पर उबली विपक्षी पार्टियां
सावित्री देवी की भूख से मौत के विरोध में एवं गलत जांच रिपोर्ट देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग को लेकर भाकपा माले ने बगोदर में सड़क जाम किया।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह। झारखंड के गिरिडीह जिले की चैनपुर पंचायत निवासी बुजुर्ग महिला सावित्री देवी की भूख से मौत को बीमारी से मौत की रिपोर्ट देने वाले जांच अधिकारी सह अपर समाहर्ता अशोक कुमार साह बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने भूख से मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इस मामले में गलत रिपोर्ट देने वाले जांच अधिकारी पर भी कार्रवाई करने की मांग की है।
इधर, सावित्री देवी की भूख से मौत के विरोध में एवं गलत जांच रिपोर्ट देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग को लेकर भाकपा माले ने बगोदर में सड़क जाम किया। जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। विदित हो कि सावित्री देवी की दो जून की सुबह भूख से मौत हो गई थी। मीडिया में यह मामला उछलने के बाद उपायुक्त मनोज कुमार ने अपर समाहर्ता अशोक कुमार साह को जांच अधिकारी प्रतिनियुक्त कर मृतक के घर भेजा था।
साह ने अपनी रिपोर्ट में यह बात साबित कर दी है कि सावित्री देवी की भूख से नहीं बल्कि बीमारी से मौत हुई है। वह काफी समय से बीमार थी। इसके समर्थन में उन्होंने दावा किया कि सावित्री का रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रांची) में सिर पर चोट जैसी एक बीमारी का इलाज चल रहा था, जो उनकी मौत का कारण बना। वहीं सावित्री के बेटे हुलास महतो ने कहा कि उसकी मां का रिम्स तो छोडि़ए आज तक रेफरल अस्पताल डुमरी में इलाज नहीं हुआ था। उसने यह भी कहा है कि उसकी मां समेत परिवार के किसी भी सदस्य ने रिम्स देखा तक नहीं है। उसने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उनके परिवार का बयान कुछ और लिया और रिपोर्ट में कुछ और शामिल कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद डॉ. सरफराज अहमद ने भी भूख से मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और गलत रिपोर्ट देने वाले जांच अधिकारी पर कार्रवाई करने की मांग की है।
इधर, जांच अधिकारी अशोक कुमार साह अभी भी अपने स्टैंड पर कायम हैं। उनका कहना है कि रिम्स की रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने दिवंगत सावित्री देवी के बीमारी से पीडि़त होने की बात कही थी। वहीं जानकार बताते हैं कि भूख से मौत के कलंक से सरकार को बचाने के लिए झूठी रिपोर्ट दी गई है।