बिना एनओसी वनभूमि पर सड़क निर्माण
गिरिडीह प्रखंड अंतर्गत अमतरो पंचायत स्थित सिजुवाई में सड़क निर्माण के दौरान हरे-भरे जंगल को उजाड़ा जा रहा है। इससे भारी संख्या में पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है जबकि संबंधित विभाग ने वन विभाग से वनभूमि पर सड़क निर्माण कराने व पेड़ उखाड़ने के लिए एनओसी भी नहीं लिया है। बता दें कि अमतरो पंचायत के राजोखार-सिजुवाई में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पीएमजीएसवाइ के तहत लगभग 4 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है। इस योजना में फिलहाल मिट्टी भराई का कार्य
गावां, गिरिडीह : अमतरो पंचायत स्थित सिजुवाई में सड़क निर्माण के दौरान हरे-भरे जंगल को उजाड़ा जा रहा है। भारी संख्या में पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है, जबकि संबंधित विभाग ने वन विभाग से वनभूमि पर सड़क निर्माण कराने व पेड़ उखाड़ने के लिए एनओसी भी नहीं ली गई है।
अमतरो पंचायत के राजोखार-सिजुवाई में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पीएमजीएसवाइ के तहत लगभग 4 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है। फिलहाल मिट्टी भराई का कार्य किया जा रहा है।
नष्ट हो रहे जंगल : सड़क निर्माण के लिए मिट्टी भराई कर रोड का स्ट्रक्चर तैयार करने के दौरान जेसीबी मशीन से बड़ी संख्या में छोटे-बड़े पेड़-पौधों को उखाड़ दिया गया है। दो-दो जेसीबी मशीन द्वारा बड़ी ही बेरहमी से हरे-भरे जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। सड़क निर्माण लिए प्रयोग में आनेवाले बोल्डर व मैटल को भी जंगल से ही अवैध उत्खनन कर निकाला जा रहा है। इस कारण भी जंगल नष्ट हो रहा है।
------------------
वर्जन
सड़क निर्माण के दौरान एक भी पेड़ को नहीं उखाड़ा गया है। वन विभाग से एनओसी के लिए आवेदन दिया हूं। फिलहाल वन भूमि के बाहर ही निर्माण कार्य हो रहा है।
नेमधारी शर्मा, ठेकेदार।
-----------------
जंगल में पेड़ उखाड़ने की सूचना मिलते ही मैंने ठेकेदार को कार्य बंद करने का निर्देश दे दिया है। वैसे यह केन्द्र प्रायोजित योजना है। इसके निर्माण के लिए पूर्व में ही सर्वे हुआ होगा। सर्वे के आधार पर ही निर्माण कार्य हो रहा है। वैसे जांच होने तक कार्य पर रोक लगाई गई है।
देव नारायण, जेई।
----------------
सड़क निर्माण के नाम पर जंगलों को बर्बाद करने की छूट किसी को नहीं है। आज ही अपने एक कर्मी को आरईओ के कार्यपालक अभियंता के पास भेज कर यह पूछा गया है कि बगैर अनुमति के वन भूमि पर सड़क निर्माण का कार्य शुरू करवाने के लिए आप पर एफआइआर क्यों नहीं की जाए। स्थल निरीक्षण कर वनों के नुकसान का आकलन करने के बाद सभी संबंधित लोगों पर वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया जाएगा।
अनिल कुमार, वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी, गावां।