डीएनए जांच से भी नहीं खुला सामूहिक दुष्कर्म व हत्या का राज
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: भेलवाघाटी थाना क्षेत्र की जिस नाबालिग आदिवासी बच्ची की दुष्कर्म के
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: भेलवाघाटी थाना क्षेत्र की जिस नाबालिग आदिवासी बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने से पूरा भेलवाघाटी इलाका सुलग उठा था, उस दिवंगत बच्ची एवं उसके परिवार को आज करीब साढ़े पांच साल बाद भी इंसाफ नहीं मिल सका है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी उस पीड़ित परिवार को मरहम लगाने पहुंचे थे, लेकिन बाद में पुलिस के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियां ने भी इस कांड को अपने एजेंडे से हटा दिया। इस मामले को लेकर आदिवासियों की महापंचायत लगाने वाले लोग भी चुपचाप घरों में बैठ गए। जब तक राजनीतिक पार्टियां एवं आदिवासी संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर आंदोलन किया, पुलिस भी सक्रिय रही।
पुलिस ने घटना के बाद मृतका के शरीर से रक्त लगा हुआ सीमेन, कपड़ा और वहां पाए गए एक अंडरवियर को जांच के लिए एफएसएल रांची भेजा था। साथ ही आठ स्थानीय युवकों के रक्त का नमूना न्यायालय के माध्यम से मृतका के डीएनए से जांच के लिए भेजा था। सभी युवक एक ही जाति विशेष के थे। एफएसएल रिपोर्ट में इन आठों युवकों के डीएनए से कोई मिलान नहीं हुआ। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस अनुसंधान में सुस्ती दिखा रही है। बीते तीन साल में पुलिस ने न्यायालय में इस मामले में कोई रिपोर्ट नहीं दी है। लिहाजा इस मासूम बच्ची की मौत की फाइल न्यायालय में जस की तस पड़ी हुई है।
गैंगरेप के बाद बेरहमी से की थी हत्या: विदित हो कि भेलवाघाटी थाना क्षेत्र में 18 जून 2013 को एक स्कूली बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। सुबह छह बजे स्कूल के लिए निकली बच्ची जब वापस घर नहीं लौटी तो घरवाले उसे खोजने निकले थे। दूसरे दिन झाड़ी में उसका शव मिला था। शव इतना वीभत्स था कि उसकी नाक और अन्य जगह से खून निकला हुआ था। हत्या के पूर्व द¨रदो ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया था। मृतका के पिता के बयान पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या, सामूहिक दुष्कर्म और शव छुपाने के साथ पोक्सो एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस घटना को लेकर करीब डेढ़ महीने तक माहौल गरम था। पुलिस को लाठीचार्ज भी करनी पड़ी थी। तत्कालीन एसपी क्रांति कुमार को बाइक से घटनास्थल पर पहुंचना पड़ा था।