दस दिनों में सुधारे गतिविधि वरना होगी कार्रवाई
गिरिडीह : बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने जिले में संचालित बालिका सुधार गृह, पीरटां
गिरिडीह : बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने जिले में संचालित बालिका सुधार गृह, पीरटांड़ में समन्वय संस्था द्वारा संचालित बाल सुधार गृह एवं शहर के लखारी में मिशनरी ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित बाल सुधार गृह का निरीक्षण किया। निरीक्षण करने के बाद आयोग के सदस्य रवींद्र कुमार गुप्ता एवं भूपन साव ने बताया कि जिले में जिन संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है, उनमें एकाध को छोड़कर कहीं भी जेजे एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए सभी संचालकों को चेतावनी दी गई है कि दस दिनों के अंदर अपनी-अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएं वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत संचालकों का निबंधन भी समाप्त हो सकता है। इसके साथ ही कई सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। कहा गया है कि जब सरकार बच्चों को लेकर गंभीर है, और करोड़ों रुपये इस पर खर्च कर रही है तो किसी भी प्रकार की लापरवाही इसमें बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी को यह भी निर्देश दिया गया कि इन संस्थाओं में जो भी स्टाफ रखें जाएं, उनका पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी है। आयोग के सदस्य शुक्रवार को न्यू सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। सदस्य रवींद्र गुप्ता ने कहा कि मिशनरजी ऑफ चैरिटी की संस्था निर्मल हृदय द्वारा बच्चों की बिक्री का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य में जितनी भी इस प्रकार की संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है, उसकी जांच का जिम्मा आयोग को सौंपा है। साथ ही निर्देश भी दिया है कि 15 अगस्त तक जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाए। इस आदेश के आलोक में गिरिडीह के पूर्व सृजन फाउंडेशन द्वारा हजारीबाग, चतरा के साथ कोडरमा जिले में संचालित संस्थाओं की जांच की जा चुकी है। निरीक्षण में पाया गया कि सभी जिले में सरकार के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। कहीं भी जेजे एक्ट के अनुसार संस्था का संचालन नहीं किया जा रहा है। चतरा की तो स्थिति यह है कि जिस स्थल पर इसका संचालन किया जा रहा है, वह स्थल संचालन के योग्य है ही नहीं। बताया कि पीरटांड़ में समन्वय की तरफ से जो संचालित किया जा रहा है, वहां बहुत ज्यादा गड़बड़ी मिली है। यहां दो बच्चे हैं, जिनकी प्रावधान के अनुसार देखरेख नहीं की जाती है। यहां एक भी स्टाफ अनुभवी नहीं पाए गए हैं। यहां दस के स्थान पर छह ही स्टाफ पाए गए। एनजीओ की सचिव ही स्वयं ही इसके संचालन का काम कर रही थीं। लखारी के संस्था को निर्देश दिया गया कि यहां रह रहे सभी 15 बच्चों की केस हिस्ट्री भी फाइल के साथ रखें। वहीं बालिका सुधार गृह में जो बच्चियां रह रही हैं, उनके स्वास्थ्य की जांच पंद्रह दिनों में एक बार जरूर करायी जाए। मौके पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी पम्मी सिन्हा, जिला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजूर, श्यामा प्रसाद, सर्वजीत कुमार, सुलेखा रानू समेत अन्य कई पदाधिकारी मौजूद थे।