आर्यिका पद पर सुशोभित हुईं बाल ब्रह्मचारिणी चेलना दीदी
मधुबन (गिरिडीह): भगवान पार्श्वनाथ की तपस्थली सम्मेद शिखरजी की पावन धरा पर भव्य जैनेश्वरी दीक्षा का
मधुबन (गिरिडीह): भगवान पार्श्वनाथ की तपस्थली सम्मेद शिखरजी की पावन धरा पर भव्य जैनेश्वरी दीक्षा का दृश्य बहुत ही दर्शनीय व वंदनीय था। बुधवार को दीक्षा मंच पर दिगम्बराचार्य मुनि व आर्यिका संघ विराजमान थे, जिनकी संख्या 125 थी। ऐसा लग रहा था मानो तीर्थंकर साक्षात प्रकट होकर धरती पर अपना समवशरण लगा बैठे हों।
बाल ब्रह्मचारिणी चेलना दीदी के दीक्षा कार्यक्रम की एक झलक पाने को देश के कोने-कोने से दिगम्बर जैन समुदाय के हजारों लोग कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे। यहां तक कि बाल ब्रह्मचारिणी चेलना दीदी के पैतृक प्रदेश गुजरात से भी सैकड़ों लोग पधारे थे।
आर्यिका दीक्षा से पूर्व चेलना दीदी को श्रावकों ने वस्त्र आभूषण भेंट कर रथ पर विराजमान का सम्मेद शिखरजी का नगर भ्रमण कराया। इसके बाद ब्रह्मचारिणी दीदी ने अपने वस्त्र, आभूषण आदि का त्याग कर सफेद वस्त्र धारण करते हुए उन सभी भौतिक सुख सुविधाओं का परित्याग कर अपने गुरु आचार्य संभव सागर जी महाराज से दीक्षा संस्कार लेकर आर्यिका चैतन्य मति माताजी के नाम से सुशोभित हुईं। आर्यिका चैतन्य मति माताजी को श्रावकों ने मोर पंख की पिच्छी व कमंडल के साथ जैन आगम का मुख्य शास्त्र जिसे जिनवाणी कहते हैं, भेंट किया।
मंच पर विराजमान आचार्य विराग सागर जी महाराज ने अपने 108 संघ सहित कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए जैन समुदाय को मंगल प्रवचन सुनाया। इसके बाद सभी श्रावकों ने नव दीक्षित आर्यिका चैतन्य मति माता जी का अनुमोदना करते हुए अरिहंत भगवंत से दीक्षित माता जी से मोक्ष मार्ग पर चलते हुए सम्पूर्ण जगत में जैन धर्म की प्रभावना के लिए मंगल कामना की।