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पति-पत्नी के बीच झगड़े का बच्चों पर होता असर

डालसा के ओर से शुक्रवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान जिला जज सह डालसा अध्यक्ष राजेश कुमार वैश्य ने कहा जहां एक परिवार में कम लोग रहते हैं वहां विवाद कम होता है लेकिन जहां बीस लोग रहते हैं वहां विवाद ज्यादा होता है। कहा कि माता- पिता यदि आपस में लड़ते हैं तो उसका गलत प्रभाव बच्चों पर पड़ता है पक्षकारों चाहिए कि वे विवाद से बचें। मासिक लोक अदालत में वाहन दुर्घटना दावा

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 11:54 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 11:54 PM (IST)
पति-पत्नी के बीच झगड़े का बच्चों पर होता असर
पति-पत्नी के बीच झगड़े का बच्चों पर होता असर

गिरिडीह : डालसा की ओर से शुक्रवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। प्रधान जिला जज सह डालसा के अध्यक्ष राजेश कुमार वैश्य ने कहा कि जहां एक परिवार में कम लोग रहते हैं वहां विवाद कम होता है लेकिन जहां बीस लोग रहते हैं वहां विवाद ज्यादा होता है। कहा कि माता- पिता यदि आपस में लड़ते हैं तो उसका गलत प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। पक्षकारों चाहिए कि वे विवाद से बचें। मासिक लोक अदालत में वाहन दुर्घटना दावा को भी समाप्त कराने में अधिवक्ताओं को सहयोग करना चाहिए। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सुरेश चंद्र जायसवाल ने कहा कि बीते दिनों स्पेशल ड्राइव चलाया गया था। बहुत ऐसे मामले इस बार रहे जिसमें एक ही पक्ष के लोग उपस्थित हुए। न्यायालय से मध्यस्थ केंद्र में दोनों पक्ष की सहमति से भेजे गए मामलों में आगे से कोई पक्ष नहीं पहुंचता है तो न्यायालय से वैसे पक्ष पर जुर्माना लगाया जाएगा। जिला जज दो कुमार दिनेश ने रामचरितमानस के दोहे के माध्यम से उपस्थित जनों को यह समझाने का प्रयास किया कि हानि लाभ व जीवन मरण सब विधि का लिखा हुआ है। हम लोगों को चाहिए कि जहां तक हो सके मुकदमों से बचें। जब तक हम अपने से नहीं चाहेंगे कि मुकदमा समाप्त हो तब तक यह समाप्त नहीं हो सकता। मुकदमा समाप्त होने से दोनों पक्षों को काफी शांति मिलती है। डालसा के सचिव मनोरंजन कुमार ने कहा कि लोक अदालत जनता के हित के लिए बनाया गया है। इसमें पैसे के साथ समय की बचत होती है। जिला अधिवक्ता संघ के सचिव चुन्नूकांत ने कहा कि लोक अदालत का मंच सबसे अच्छा मंच है जहां आसानी से मामलों को सुलह के माध्यम से समाप्त कराया जा सकता है । हम अपने साथियों से भी यह चाहेंगे कि वे अधिक से अधिक मामलों में सुलह करा लाभ उठा सकते हैं। न्यायिक दंडाधिकारी आशीष अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए । इसमें कुल 5 बैंचों का गठन किया गया था जिसमें कुल 28 मामलों का निष्पादन किया गया। साथ ही चार लाख 81 हजार दो सौ रुपए राजस्व की प्राप्ति की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने जिला जज रामबाबू गुप्ता, विनोद कुमार सिंह, रमेशचंद्रा, डीएन मिश्रा, अनिल कुमार, पीयूष श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, सीजेएम मिथिलेश कुमार सिंह, एसीजेएम विमलेश कुमार सहाय के अलावा सभी न्यायिक दंडाधिकारी, अधिवक्ता, पीएलवी व पक्षकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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